-2012 में कांग्रेस की सरकार के समय उजागर हुआ था नेशनल हेराल्ड मामला -राजनीति करने की बजाय तकनीकी और कानूनी जवाब अदालत को दे कांग्रेस पार्टी -कांग्रेस का प्रदर्शन ‘‘चोरी और सीनाजोरी’’ का उत्कृष्ट उदाहरण भोपाल (ईएमएस)। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने बुधवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकार-वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा झूठ, छल-कपट की राजनीति करती रही है और नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर उसका विरोध प्रदर्शन भी चोरी और सीनाजोरी का उत्कृष्ट उदाहरण है। नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की चार्जशीट में श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम आना पूरी तरह से तकनीकी और कानूनी मामला है। इसलिए कांग्रेस को ईडी और आयकर जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर प्रदर्शन के माध्यम से दबाव डालने का प्रयास करने की बजाय उसे तकनीकी और कानूनी आधार पर अपना पक्ष अदालत में रखना चाहिए। कांग्रेस पता लगाए, ये अंदरूनी षडयंत्र किसने रचा? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले की शुरुआत 2012 में हुई थी, उस समय देश में कांग्रेस की ही सरकार थी। एक जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2013 में इस मामले में सुनवाई शुरू की और 2013 में ही नेशनल हेराल्ड मामले में केस दर्ज हुआ। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं थी, बल्कि कांग्रेस की ही सरकार थी। ऐसे में कांग्रेस के मित्रों से मैं यह पूछना चाहता हूं कि ईडी की चार्जशीट में श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी एवं सैम पित्रोदा आदि के जो नाम आए हैं, तो इनके खिलाफ षडयंत्र किसने किया? चूंकि यह मामला मोदी सरकार के आने के पहले का है, इसलिए कांग्रेस पार्टी का इस मुद्दे पर राजनीति करने का कोई औचित्य ही नहीं बनता। 90 करोड़ की कर्जदार कंपनी बन गई हजारों करोड़ की मालिक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि तकनीकी दृष्टिकोण से देखें तो यह भारत के इतिहास का एक ऐसा विचित्र मामला है, जिसमें 90 करोड़ रुपए की देनदारी वाली कंपनी हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति वाली कंपनी बन गई। इस कंपनी के 76 प्रतिशत शेयर यानी तीन-चौथाई स्वामित्व श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास था। हास्यास्पद बात यह है कि इस कंपनी के बारे में तय किया गया कि जब प्रकाशन का काम बंद हो जाएगा, तो कंपनी प्रापर्टी व्यवसाय में काम करेगी। श्री शर्मा ने कहा कि मैं कांग्रेस के मित्रों से यह पूछना चाहता हूं कि नेशनल हेराल्ड की स्थापना पं. जवाहरलाल नेहरू ने की थी। आजादी के बाद छह दशकों तक देश में कांग्रेस की सरकारें रहीं, ऐसे में पं. नेहरू द्वारा स्थापित तीनों अखबार किस तरह घाटे में आ गए? क्या कांग्रेस की सरकार और पार्टी कार्यकर्ताओं ने इनका कोई सहयोग नहीं किया? अगर कांग्रेस के 10 प्रतिशत कार्यकर्ता भी नवजीवन, नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज अखबार खरीदते रहते, तो उनके बंद होने की नौबत नहीं आती। स्वतंत्रता सेनानियों के विरोध को अनदेखा किया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी ऐसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की स्थापना देश के स्वतंत्रा संग्राम सेनानियों ने की थी। ये पांच हजार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इसके शेयर होल्डर भी थे। इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शेयर होल्डर्स ने कंपनी के अधिग्रहण का विरोध किया था, आपत्ति भी दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि शेयर धारकों से पूछे बिना कंपनी को किसी को भी कैसे दे दिया गया? शांति भूषण जी के पास भी इसके शेयर थे और उन्होंने भी इसका विरोध किया था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता ने तो अधिकारिक रूप से कहा था कि नेशनल हेराल्ड के लिए मैंने मेहनत करके पार्टी कार्यकर्ताओं से पैसा जुटाया था और यह अखबार देश की आवाज उठाने के लिए स्थापित किया गया था। लेकिन इसे नेहरू खानदान की आवाज कैसे बना दिया गया। कांग्रेस के ही लोगों ने इस अधिग्रहण का विरोध किया था, लेकिन एक परिवार के लिए इस विरोध को दरकिनार कर दिया गया। कार्पोरेट षडयंत्र का परिणाम है नेशरल हेराल्ड मामला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार 1937 में शुरू हुआ। उस समय यह नेहरू खानदान की जागीर नहीं था, इसके 5000 शेयर-होल्डर थे। कई लोगों ने इसके लिए सहयोग किया था। 2008 में नेशनल हेराल्ड बंद हो गया। उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड रुपए का लोन इस अखबार को दिया। नेशनल हेराल्ड की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी, तो कार्पोरेट षडयंत्र करके यंग इंडिया नाम की कंपनी बनाई गई, जिसमें 38-38 प्रतिशत शेयर श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी के थे। बाकी मोतीलाल वोरा व अन्य लोगों के थे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कांग्रेस एक पॉलीटिकल पार्टी है और एक पॉलीटिकल पार्टी किसी प्राइवेट बॉडी को फंड कैसे दे सकती है? इसके बाद नेशनल हेराल्ड के 90 करोड़ के शेयर यंग इंडिया कंपनी को ट्रांसफर कर दिए गए, जिसके शेयर होल्डर्स श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी है। इस तरह यह पूरी संपत्ति एक परिवार के हाथ में आ गई। यह बताया गया था कि यंग इंडिया एक चैरिटेबल संस्था है, लेकिन यह क्या चैरिटी करती है, इसका किसी को कुछ नहीं पता। इस तरह से जो अखबार आजादी के आंदोलन में लड़ने वाले लोगों की आवाज को ताकत देने के लिए स्थापित किया गया था, उसे निजी व्यापार में बदल दिया गया। श्री शर्मा ने कहा कि जिस तरह से शेयर ट्रांसफर किए गए और हजारों करोड़ की संपत्ति हथिया ली गई, तो यह लूट का मामला भी बनता है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि उनका यह प्रदर्शन किस बात के लिए है? भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए है या गांधी परिवार को बचाने के लिए है। संवैधानिक संस्थाओं का अपमान कांग्रेस की पुरानी आदत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों का जब मन हुआ, उन्होंने संविधान पर प्रहार किए और उसमें संशोधन किए। कांग्रेस की सरकार ने देश में लोकतंत्र की हत्या की। एक संवैधानिक संस्था के तौर पर संसद देश में कानून बनाने का काम करती है। लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी कानून को संसद के अंदर फाड़कर उसका अपमान करते हैं। ऐसा एक बार नहीं हुआ, बल्कि कांग्रेस का नेतृत्व और गांधी परिवार अनेक बार इस तरह का व्यवहार कर चुका है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ईडी, सीबीआई जैसी सभी संवैधानिक संस्थाओं को ईमानदारी से काम करने की छूट दी है। जब ये संस्थाएं कानून के अनुसार अपना काम कर ही हैं, तो इनके विरोध में धरना-प्रदर्शन करने से ये दबाव में नहीं आएंगी। श्री शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी से यह सवाल पूछती है कि क्या देश में कानून को अपना काम नहीं करना चाहिए? हजारों करोड़ की संपत्ति पर गैर काननी तरीके से षडयंत्र करके कब्जा कर लिया जाए, तो क्या कानून को इसमें चुप रहना चाहिए? काले धन को सफेद करने का माध्यम था नेशनल हेराल्ड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। देश में जनता की आवाज को बुलंद करने के लिए कई अखबार और चैनल आए तथा चल भी रहे हैं। ऐसे में एक ऐसा अखबार जिस पर कांग्रेस की सरकारों का पूरा आशीर्वाद रहा, वो क्यों नहीं चल सका? श्री शर्मा ने कहा कि यह अखबार परोक्ष रूप से काले धन को सफेद करने और कांग्रेस के भ्रष्टाचार का माध्यम ही था। उन्होंने कहा कि इस मामले में नैतिक और तकनीकी आधार पर कांग्रेस के दावे बहुत खोखले तथा आधारहीन हैं। इस मामले में कांग्रेस को धरना-प्रदर्शन करने का कोई अधिकार नहीं है। श्री शर्मा ने कहा कि धरना प्रदर्शन की बजाय कांग्रेस पार्टी को जिन तथ्यों के आधार पर श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम चार्जशीट में आया है, उन तथ्यों को देश की जनता के सामने रखना चाहिए। कांग्रेस पार्टी में बहुत बड़े वकील हैं और उसे कानूनी तथा तकनीकी आधार पर अपना पक्ष अदालत के सामने रखना चाहिए।