टोरंटो,(ईएमएस)। कनाडा में सोमवार, 28 अप्रैल को नई सरकार चुनने के लिए मतदान किया गया, जिसमें देश के प्रमुख मुद्दे अमेरिकी दबाव का विरोध, आर्थिक चुनौतियां और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा रहे। आम चुनाव में मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी और पियरे पोइलिव्रे के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी के बीच रहा। यहां हम जीत-हार की बात नहीं कर रहे, बल्कि इस चुनाव में कौन-कौन से मुद्दे प्रभावी रहे उस पर सरसरी निगाह डाल रहे हैं। कनाडा का यह चुनाव इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि पिछले एक दशक में पहली बार जस्टिन ट्रूडो चुनावी दौड़ में नहीं थे। उनकी जगह बैंकिंग पृष्ठभूमि से आए मार्क कार्नी ने लिबरल पार्टी का नेतृत्व संभाला। मजबूत आर्थिक दृष्टिकोण और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सख्त रुख ने कार्नी को बढ़त भी दिलाई। वहीं, कंजर्वेटिव नेता पियरे पोइलिव्रे ने महंगाई के मुद्दे को केंद्र में रखा। हालांकि, उनकी ट्रंप-जैसी राजनीतिक शैली, ऐसे समय में जब कनाडा में अमेरिका विरोधी भावनाएं उफान पर हैं, उनके लिए बाधा बनती दिखी। जहां तक चुनावी मुद्दों की बात है तो बतला दें कि इस चुनाव में टैरिफ युद्ध, कनाडा की संप्रभुता पर अमेरिकी खतरे, महंगाई और सैन्य खर्च मुख्य मुद्दे रहे। सभी प्रमुख पार्टियों ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने और नागरिकों के लिए कर कटौती का वादा किया। सैन्य खर्च बढ़ाने पर भी सहमति जताई गई, ताकि 2030 तक नाटो के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। भारत के लिए चुनाव का महत्व कनाडा में नई सरकार का गठन भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि व्यापार, शिक्षा और रणनीतिक साझेदारी जैसे कई पहलू दोनों देशों के संबंधों पर निर्भर करते हैं। विशेष रूप से, एक स्थिर और भारत-समर्थक नेतृत्व से द्विपक्षीय रिश्ते और प्रगाढ़ हो सकते हैं। हिदायत/ईएमएस 29 अप्रैल 2025