भारत से टकराव और ट्रांस-शिपमेंट खत्म करने के चलते रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री तबाह ढाका (ईएमएस)। बांग्लादेश की राजनीतिक और कूटनीतिक गलतियों का खामियाजा अब न सिर्फ रेडीमेड कारमेंट्स इंडस्ट्री को उठाना पड़ रहा है, बल्कि देश में बेरोजगार युवाओं की भी खासी बड़ी फौज तैयार हो गई है। इस समय बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल का दौर देखने को मिल रहा है। यहां मीडिया रिपोर्ट के आधार पर बताया जा रहा है कि भारत से टकराव और ट्रांस-शिपमेंट सुविधा खत्म होने का सीधा असर बांग्लादेश के रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री पर पड़ा है, इससे अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूटती नजर आ रही है। दरअसल अब तक 170 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और 40 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इतने कम समय में यूं फैक्ट्रियों का बंद होना और अचानक बेरोजगारी का बढ़ना अर्थत्यवथा को चौपट करने जैसा है। देश में उपजे इस संकट के लिए अंतरिक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के फैसलों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। गौरतलब है कि कोविड19 में जब बांग्लादेश की सप्लाई चेन पूरी तरह ठप हो गई थी, तब भारत ने ट्रांस-शिपमेंट की सुविधा देकर उसकी अर्थव्यवस्था को गिरने से रोके रखा था। उस समय बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना थीं। तब भारत के बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स से बांग्लादेश अपने निर्यात को वैश्विक बाजारों तक पहुंचा पा रहा था, लेकिन ढाका के हालात बदले और हालिया राजनीतिक विवादों और बांग्लादेश द्वारा भारतीय भूमि बंदरगाहों पर प्रतिबंध लगाने यानी आयात को बाधित करने और बीजिंग में भारत के चिकेन नेक क्षेत्र को निशाना बनाने जैसी घटनाओं ने रिश्तों में दरार डाल दी। बांग्लादेश के बार-बार उठाए कदमों के बाद भारत ने ट्रांस-शिपमेंट सुविधा बंद कर दी। इसका असर यह हुआ कि बांग्लादेश के प्रमुख औद्योगिक क्लस्टर बेक्सिमको औद्योगिक पार्क में 170 से ज्यादा कारखाने बंद हो गए और हजारों लोगों बेरोजगार हो गए। अब बांग्लादेश को अपने निर्यात पहले श्रीलंका, मालदीव या पाकिस्तान भेजने होंगे, फिर वहां से आगे जा सकेंगे। ऐसा करने से बांग्लादेशी सामान की लागत लागत भी बढ़ेगी। बांग्लादेश गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष फारूक हसन ने भारत से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील जरुर की है, लेकिन फिलहाल बांग्लादेश सरकार की जिद से हालात सुधरते नजर नहीं आ रहे हैं। हिदायत/ईएमएस 29 अप्रैल 2025