ज़रा हटके
01-May-2025
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-यह हाइड्रोजन अणुओं से बना है, इसलिए उपकरणों से दिखाई नहीं देता लंदन,(ईएमएस)। हमारे आकाशगंगा में एक अदृश्य और विशाल गैस बादल वैज्ञानिकों की नजर से अब तक छुपा हुआ था, लेकिन अब एक रिसर्च टीम ने इसे खोज निकाला है। इस गैस बादल को ईओएस नाम दिया गया है, जो ग्रीक पौराणिक कथाओं में सुबह की देवी का प्रतीक है। ईओएस न सिर्फ विशाल है, बल्कि पृथ्वी से मात्र 300 प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है यानी अंतरिक्ष की दृष्टि से यह बेहद करीब। यह बादल मुख्य रूप से हाइड्रोजन अणुओं से बना है, इसलिए अब तक पारंपरिक उपकरणों से यह दिखाई नहीं दिया। वैज्ञानिकों ने पहली बार फार-अल्ट्रावायलेट लाइट का इस्तेमाल किया है, जिसमें हाइड्रोजन अणु चमकते हैं। यही तकनीक इस बादल की पहचान करने में सफल रही। ईओएस का आकार करीब 40 पूर्ण चंद्रमाओं के बराबर है और इसका द्रव्यमान सूर्य के मुकाबले 3400 गुना ज्यादा है। यह बादल ‘लोकल बबल’ नाम की गैस से भरी एक विशाल कैविटी के किनारे पर स्थित है, जिसमें हमारा सौरमंडल भी शामिल है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी स्टडी से हमें इंटरस्टेलर गैस और धूल की प्रकृति और उनके जरिए नए तारों और ग्रहों के निर्माण की प्रक्रिया को समझने में मदद मिल सकती है। इस गैस बादल की मौजूदगी से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है, लेकिन इसका इतना करीब होना वैज्ञानिक अध्ययन के लिए फायदेमंद है। इससे यह देखा जा सकता है कि कैसे ब्रह्मांड में फैली गैस और धूल धीरे-धीरे मिलकर नए खगोलीय पिंडों का निर्माण करती है। इस खोज ने पारंपरिक खोज तकनीकों को भी चुनौती दी है, जो अब तक गैस बादलों की पहचान के लिए कार्बन मोनोऑक्साइड पर निर्भर रहती थीं। चूंकि ईओएस में यह गैस बहुत कम है, इसलिए यह छुपा रह गया था। अब एफयूवी फ्लोरेसेंस तकनीक के जरिये वैज्ञानिक आकाशगंगा के और भी छुपे हुए रहस्यों को उजागर करने की दिशा में बढ़ सकेंगे। ईओएस की खोज से यह संकेत मिलता है कि बिग बैंग के समय से हाइड्रोजन गैस का प्रवाह हमारे सौरमंडल तक जारी है। सिराज/ईएमएस 01 मई 2025