राजस्थान के उदयपुर में रह रही गिरिजा व्यास घर मे 31 मार्च को आरती कर रही थीं, आरती करते हुए उनकी चुन्नी में नीचे रखे दीपक से आग लग गई और गिरजा व्यास 90 प्रतिशत तक जल गई। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास का उपचार के दौरान अहमदाबाद में निधन हो गया है। गिरिजा व्यास 79 वर्ष की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं डॉ गिरिजा व्यास के निधन से राजस्थान समेत देशभर में शोक की लहर है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उनकी राष्ट्रसेवा को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने कहा कि उनका असमय जाना हम सभी के लिए एक बड़ा आघात है।कांग्रेस की वरिष्ठ नेता गिरिजा व्यास ने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों में मंत्री के रूप में काम किया है। वह राजस्थान कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय महिला आयोग की भी अध्यक्ष रह चुकी हैं।गिरिजा व्यास ने कांग्रेस पार्टी में कई वरिष्ठ पदों पर काम किया। वहसन 1991 में उदयपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंची और नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री रहीं।उन्होंने दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट किया और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय एवं यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर में अध्यापन कार्य किया ।वे लेखिका भी रही और कवयित्री के रूप में भी नाम कमाया।उनकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हुई, जिनमें ‘एहसास के पार, ‘सीप, समुन्दर और मोती व ‘नॉस्टैल्जिया आदि शामिल है।वे सन 1985 में राजस्थान विधान सभा से पहली बार विधायक बनीं थी व सन 1990 तक पर्यटन मंत्री रहीं।वही वे सन 1991से 99 तक उदयपुर से तीन बार लोकसभा सांसद व सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री रही।उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन होने का सौभाग्य भी मिला,उसके बाद वे जून सन 2013से मई 2014 तक केन्द्रीय कैबिनेट में शहरी आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री का दायित्व निभाया। उत्तराखंड के जनकवि डॉ अतुल शर्मा के शब्दों में, गिरिजा व्यास जब भी देहरादून आती थी,कहानीकार रेखा शर्मा व कवयित्री रंजना शर्मा को सूचित कर देती कि वे दून आ रही है और घर ज़रुर आयेगी। वे हमारे सुभाष रोड व एम के पी स्टाफ क्वाटर मे ज़रूर आती थी । घरेलू चर्चा के बाद गोष्ठी जमती थी। हमारी कविताये सुनती और अपनी ग़ज़ल सुनाती थी। उन्हे स्वाधीनता संग्राम सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम सम्मान से भी नवाजा गया तहस।उन्होंने अपने दोने ग़ज़ल संग्रह कशिश और दासता कहते कहते औ र सागर सीप और मोती रेखा शर्मा को भेंट की थी। सच कहूं तो गिरजा व्यास राजनीति में ऊंचाइयों तक पहुंचने के बाद भी जमीन से जुड़ी रही और स्वयं को राजनेता से पहले लेखिका या फिर कवियत्री मानती रही,यही गुण उन्हें लोकप्रिय बना गया और वे भगवान की आरती करते हुए महाप्रयाण की तरफ निकल गई।उन्हें शत शत नमन। ईएमएस / 02 मई 25