नई दिल्ली,(ईएमएस)। यूरोपीय संघ की एक-एक चाल को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर समझ गए हैं। उनकी एक-एक भविष्यवाणी सच हो रही है। यूरोपीय संघ की टिप्पणी के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का दो साल पहले दिया गया बयान फिर से वायरल हो गया है, जिसमें उन्होंने यूरोप का आईना दिखाया था। विदेश मामले और सुरक्षा नीति पर यूरोपीय संघ की उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास ने गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार से बात की थी। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने दो साल पहले ही यूरोप को उसकी असली चेहरा दिखाया था। जून 2022 में स्लोवाकिया में एक सम्मेलन में जयशंकर ने कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी समस्याएं पूरी दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्या, यूरोप की समस्या नहीं है। संघ एक तरफ वह यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए रूस के खिलाफ लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए है। और यूक्रेन को हथियार देकर उसकी मदद भी कर रहा है। इसी तरह पहलगाम हमले के बाद यूरोप ने भारत को शांति का ज्ञान दिया है। यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष और संघ की विदेश मामलों की उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास ने भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत की सलाह दी है। कल्लास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव चिंताजनक है। मैं दोनों पक्षों से संयम बरतने और स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बातचीत का आग्रह करती हूं। तनाव बढ़ाने से किसी कोई फायदा नहीं होता। मैंने आज डॉ जयशंकर और इशाक डार से बात करके ये संदेश दिए। ऐसे समय में जब यूरोपीय संघ को पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया चाहिए और उसे आतंकवादियों पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाना चाहिए, वह भारत को शांति का ज्ञान दे रहा है। दरअसल, उस समय भारत पर यूक्रेन युद्ध में रूस का विरोध करने को लेकर दबाव बनाने की कोशिश हो रही थी, लेकिन भारत ने इससे इनकार कर दिया था। जयशंकर ने यूरोप के उस विचार को खारिज कर दिया कि यूक्रेन पर भारत के रुख के कारण उसे चीन के साथ समस्या बढ़ने पर वैश्विक समर्थन हासिल करने में परेशानी आ सकती है। चीन के साथ जुड़े सवाल पर जयशंकर ने कहा था कि आज इस बारे में एक कड़ी बनाई जा रही है। चीन और भारत तथा यूक्रेन के घटनाक्रम में संबंध जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच जो कुछ हुआ है, वह यूक्रेन से काफी पहले हुआ। जयशंकर ने कहा कि हमारे चीन के साथ संबंध असहज हैं और हम इनके प्रबंधन में पूरी तरह से सक्षम हैं। अगर इस बारे में वैश्विक समर्थन मिलेगा, तब स्वाभाविक रूप से मदद मिलेगी। लेकिन यह यह विचार कि मैं एक संघर्ष में शामिल में हो जाऊं क्योंकि इससे मुझे दूसरे संघर्ष में मदद मिलेगी। वीरेंद्र/ईएमएस 04 मई 2025