लेख
04-May-2025
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बुल्गारिया की रक्षा वेबसाइट मिल्ट्री.कॉम की ताजा रिपोर्ट ने भारत की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन और पाकिस्तान के बीच एक गुप्त समझौते पर बातचीत चल रही है। इस समझौते के तहत चीन, पाकिस्तान को रूस निर्मित एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तकनीकी जानकारी देगा। यह वही एस-400 प्रणाली है। जिसे भारत ने रूस से 5.43 अरब डॉलर में खरीदा था। भारत ने इस तकनीकी से निर्मित विमान एवं सुरक्षा उपकरण चीन तथा पाकिस्तान की सीमा सुरक्षा एवं चुनौतियों से निपटने के लिए तैनात किया है। चीन को भी रूस नेएस-400 एयर डिफेंस दिया है। अगर यह जानकारी चीन द्वारा पाकिस्तान को लीक होती है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की वायु सेना मजबूत हो जाएगी। भारतीय वायु सेना का सुरक्षा कवच कमजोर हो जायेगा। पाकिस्तान बरावरी के मुकाबले में आकर भारत के सामने खड़ा हो जाएगा। चीन पहले से S-400 का उपयोग कर रहा है। चीन और भारत एस 400 की बेहतरी और कमजोरियों से भली-भांति परिचित हैं। यदि चीन ने पाकिस्तान को इसकी रडार फ्रीक्वेंसी, ब्लाइंड स्पॉट और जामिंग तकनीक की जानकारी दे दी, तो भारत के सैन्य मिशनों और रणनीतिक संतुलन के लिए भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। यह मुद्दा केवल सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक रूप से भारत के लिए कई चुनौतियों को खड़ा करेगा। भारत रूस का परंपरागत सहयोगी रहा है। वर्तमान स्थिति में रुस, अमेरिका चीन और पश्चिमी देशों की ओर झुक रहा है। वर्तमान में चीन का झुकाव भी पाकिस्तान की ओर बढ़ा है। भारत की सीमा चीन और पाकिस्तान से लगी हुई है। ऐसी स्थिति में चीन संतुलन बनाए रखने के लिए पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मजबूत बनाने का जो काम कर रहा है। वह भारतीय हितों को बुरी तरह से प्रभावित करने वाला है। रूस ने एस 400 को लेकर भारत के साथ किये गये समझौते की अनदेखी की, तो भारत की रक्षा नीति को गहरा आघात लगेगा। वैश्विक हथियार नीति के ‘एंड यूजर एग्रीमेंट’ पर सवाल खड़े होंगे। वर्तमान स्थिति में जिस तरह की हालत देखने को मिल रही है। उसमें एग्रीमेंट का कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं रहा। सारी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अपना वजूद खो चुकी हैं। भारत सरकार को इस रिपोर्ट की गंभीरता को समझना होगा। चीन पाकिस्तान के साथ रक्षा और एस 400 को लेकर यदि कोई समझौता करता है।ऐसी स्थिति में भारत को रूस से औपचारिक आपत्ति और कूटनीतिक दबाव बनाकर एस-400 की गोपनीयता सुनिश्चित करने का दबाव बनाना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो भारत के अरबों डॉलर खर्च करके जो सैन्य उपकरण खरीदे है। वह सुरक्षा व्यवस्था बेमानी साबित हो सकती है। रक्षा मामलों में चीन से भारत बहुत पीछे हैं यदि पाकिस्तान जैसे देश चीन को सहायता से रक्षा मामलों में हमारी बराबरी में आकर खड़े हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में भारत को जो चुनौतियां मिलेगी, उनकी कल्पना कर पाना आज की स्थिति में संभव नहीं है। भारत के विदेश मंत्री पहले ही कह चुके हैं।चीन आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में भारत से बहुत आगे है। हम उसका मुकाबला नहीं कर सकते हैं। यदि चीन गुप्त रूप से पाकिस्तान की मदद कर रहा है। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी भारत को होगी। भारत के मुकाबले चीन अपने आप को बहुत समर्थ बनाना चाहता है। वैश्विक व्यापार तथा सैन्य शक्ति में वह दुनिया के देशों में सबसे अग्रणी रहे। इसके लिए चीन की प्रतिस्पर्धा भारत के साथ हमेशा बनी रहेगी। चीन दुनिया के साम्राज्य का प्रभाव अपने वश में रखना चाहता है। भारत भी दुनिया का विश्व गुरु बनना चाहता है। चीन पीठ के पीछे से वार करने और अपनी विस्तार नीति के लिए पहचाना जाता है। ऐसी स्थिति में भारत को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। जिस तरह की स्थिति वर्तमान में देखने को मिल रही है, उससे भारत की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। भारत सरकार को बहुत गंभीरता के सात चिंतन मनन करते हुए वर्तमान स्थिति में अपने आप को चुनोतियों से बचाते हुए आगे बढ़ाने के मार्ग को खोजना होगा। जिस तरह 1962 में हिंदी चीनी भाई-भाई के रूप में चीन ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और भारत के साथ विश्वासघात किया था। वही हालात अब एक बार फिर देखने को मिल रहे हैं। इसलिए भारत को इतिहास से भी सबक लेने की जरूरत है। ईएमएस / 04 मई 25