-पीटीआई नेता सलमान ने किया खुलासा, शहबाज को बताया कठपुतली इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले के पीछे पाकिस्तानी सेना की गहरी साजिश का खुलासा हुआ है। इसमें सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भारत-विरोधी रणनीति के साथ-साथ पूर्व पीएम इमरान खान को खत्म करने की मंशा नजर आ रही है। जुनून बैंड के सदस्य और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नेता डॉ सलमान अहमद ने एक इंटरव्यू में जनरल मुनीर की खतरनाक मंशा का खुलासा किया और बताया कि पीएम शहबाज जनरल मुनीर के हाथों की कठपुतली हैं। अहमद ने कहा कि पहलगाम हमले से ठीक पहले, इस्लामाबाद में प्रवासी पाकिस्तानियों के सम्मेलन में मुनीर ने दो-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला देकर भारत के खिलाफ जहर उगला था। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने माना कि हमारा धर्म, रीतियां, परंपराएं, विचार और महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यहीं से दो-राष्ट्र सिद्धांत की नींव पड़ी। मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान की ‘रगों का हिस्सा’ बताया था। उन्होंने पाकिस्तानियों से अपने बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक ‘श्रेष्ठता’ की कहानियां सिखाने का आह्वान किया था। डॉ सलमान अहमद का मानना है कि यह ‘अनावश्यक और सांप्रदायिक विभाजन’ वाला भाषण था। अहमद ने खुलासा किया कि मुनीर असल में इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई को खत्म करना चाहते हैं। इमरान खान, 2023 से जेल में बंद हैं और पाकिस्तान में बड़ी संख्या में उनके समर्थक हैं। मुनीर ने इमरान खान के खिलाफ 200 से ज्यादा फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए और 8 फरवरी 2024 के चुनावों में धांधली की, लेकिन इमरान की लोकप्रियता को खत्म नहीं कर सके। अहमद ने कहा कि मुनीर जल्द ही इमरान और उनके समर्थकों के खिलाफ हिंसा, हत्या, यातना और अपहरण की मुहिम शुरू करने वाले हैं। ये हमले उन लोगों को चुप कराने के लिए होंगे जो मुनीर की अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। अहमद के मुताबिक मुनीर नवंबर 2025 से पहले पाकिस्तान पर पूरा नियंत्रण चाहते थे। वर्तमान पीएम शहबाज शरीफ को उन्होंने मुनीर की कठपुतली बताया। अहमद ने कहा कि सत्ता में रहते हुए इमरान खान चाहते थे कि सेना बैरकों में रहे, जैसे भारत में होता है, लेकिन 78 सालों में पाकिस्तान को एक सैन्य कार्टेल ने अपने कब्जे में ले लिया है, याह्या खान से लेकर परवेज मुशर्रफ तक और अब मुनीर भी। उन्होंने सब कुछ नियंत्रित किया अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और मीडिया, लेकिन सेना नागरिक मामलों को नहीं समझती। सिराज/ईएमएस 05मई25