लेख
08-May-2025
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यह भी एक विशेष बात है कि बिहार का एक पुराना जिला भागलपुर 252 वर्षों के बाद राजकीय और विधिवत ढंग से अपनी स्थापना का दिवस मनाया। किसी भी जिले के लिये उसकी स्थापना की तिथि का एक खास महत्व होता है, क्योंकि उस दिन से उसकी एक अलग और स्वतंत्र पहचान बनती है। प्रत्येक वर्ष अपने स्थापना दिवस का समारोह मनाकर वो जिला अपने ऐतिहासिक-सांस्कृतिक धरोहरों व स्मारकों को याद कर सामाजिक-आर्थिक विकास के नये आयाम गढ़ने का संकल्प लेता है। यह भी एक विडम्बना रही है कि ब्रिटिश भारत में भागलपुर बिहार का सबसे पुराना जिला होने के बावजूद स्थापना की तिथि स्पष्ट नहीं होने के कारण पिछले ढाई सौ वर्षों तक अपना स्थापना समारोह नहीं मना सका। अंततः काफी शोध, अध्ययन और जिला प्रशासन के उपक्रमों के पश्चात् इस साल 4 मई को भागलपुर अपना पहला राजकीय स्थापना दिवस समारोह पूरे धूमधाम व भव्यता के साथ मनाया। इस अवसर पर पूरी भव्यता के साथ स्थानीय टाउन हॉल में समारोह का आयोजन किया गया तथा कलेक्ट्रियट भवन के नगर के चौक-चौराहों व स्मारकों को रंगीन लाईट से सज्जित किया गया। इसके अलावा प्रमुख संस्थान गांधी शांति प्रतिष्ठान, नगर विकास परिषद व अन्य संस्थाओं ने भी इस अवसर पर समारोह आयोजित किये। भागलपुर वासियों को यह मलाल रहा कि ब्रिटिश काल में संताल परगना से लेकर बंगाल तक के क्षेत्रफल तक फैले भागलपुर, जो उस समय जंगल तराई कहलाता था, से निकले मुंगेर, मधेपुरा, सुपौल, बेगूसराय, जमुई सहित झारखंड के दुमका, देवघर, गोड्डा आदि जिले तो अपने स्थापना दिवस समारोह मना रहे थे पर भागलपुर इससे मरहूम रहा। इस दौरान जिले के विभिन्न राजनैतिक-सामाजिक संगठनों तथा प्रबुद्ध नागरिकों व बुद्धिजीवियों के द्वारा लंबे समय तक जिला स्थापना दिवस समारोह आयोजित करने की मांग की जाती रही जिसके मद्देनजर तत्कालीन जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने जिला स्थापना तिथि निर्धारण हेतु अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में 6 दिसंबर, 2018 को एक चार-सदस्यीय समिति का गठन किया जिसमें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्राध्यापक प्रो. (डॉ.) रमन सिन्हा भी शामिल किये गये थे। इतिहासकार डॉ. सिन्हा ने कोलकाता स्थित बंगाल राज्य अभिलेखागार के दस्तावेजों, कोलकाता के नेशनल लाइब्रेरी के ग्रंथों, कैलेंडर ऑफ पर्सियन करसपोंडेंट्स, ब्रिटिश सरकार के प्रशासनिक केंद्र फोर्ट विलियम, कोलकाता के इंडिया हाउस करसपोंडेंट्स आदि का अध्ययन करने के पश्चात् अपने शोध निष्कर्षों के आधार पर यह दावा किया कि 4 मई, 1773 को मि. जेम्स बर्टन ने भागलपुर के पहले कलक्टर के रूप में योगदान किया था जिससे स्पष्ट होता है कि भागलपुर जिले की स्थापना 4 मई, 1773 को हुई थी। 1765 में मुगल बादशाह शाह आलम से ईस्ट इंडिया कंपनी को बिहार, बंगाल और उड़ीसा की दीवानी (जमींदारी) मिली, किंतु एक नीति के तहत अंग्रेजों ने मुगलकालीन व्यवस्था में तत्काल दखलंदाजी न करते हुए मुगलकालीन व्यवस्था कायम रखते हुए राजस्व मामलों के लिये 1769 में राजमहल-भागलपुर (पुराना भागलपुर) के लिये विलियम हारउड को सुपरवाइजर नियुक्त किया। इसके बाद कंपनी सरकार द्वारा गठित पांच-सदस्यीय कमिटी की सिफारिश पर 18 फरवरी, 1773 को राजमहल-भागलपुर अर्थात ग्रेटर भागलपुर जिले का निर्माण किया गया। पर इसका प्रभार कलक्टर की बजाय पूर्व से कार्यरत सुपरवाइजर मि.हारउड के हाथों में ही रहा। इसके उपरांत कंपनी सरकार ने राजस्व संग्रह अधिकार के साथ कलक्टर नियुक्त करने का निर्णय लिया जिसके फलस्वरूप मि. जेम्स बर्टन ने 4 मई, 1773 को राजमहल-भागलपुर अर्थात ग्रेटर भागलपुर के पहले कलक्टर के रूप में सुपरवाइजर मि. हारउड से प्रभार लेकर पदभार ग्रहण किया। जिला स्थापना तिथि निर्धारण हेतु अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में गठित समिति ने पूर्ण विचार कर डॉ. सिन्हा के द्वारा प्रस्तुत तिथि पर सहमति प्रदान की जिसपर सहमत होकर जिलाधिकारी ने राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा। तत्पश्चात् राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव द्वारा 2023 में जिला स्थापना की इस तिथि अर्थात् 4 मई को अनुमोदित किया गया। किंतु कोरोना तथा इसके बाद 2024 के आम चुनाव के कारण जिला स्थापना दिवस समारोह आयोजित नहीं किये जा सके। अपने शोध के आधार पर जिला स्थापना तिथि की खोज करनेवाले डॉ. रमन सिन्हा बताते हैं कि सिर्फ जिला स्थापना तिथि ही नहीं, वरन् इसके साथ जिला के पहले कलक्टर के बारे में भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं थी, जिसका उक्त शोध के क्रम में पता चला। पहले यही मान्यता थी कि मि.आगस्टस क्लीवलैंड भागलपुर के पहले कलक्टर थे और जिलाधिकारी के कार्यालय वेश्म में लगे जिलाधिकारियों के सक्शेसन लिस्ट में भी पहले कलक्टर के रूप में क्लीवलैंड का ही नाम अंकित था। किंतु बंगाल अभिलेखागार में संधारित प्रेस लिस्ट ऑफ एनशिएंट डाक्यूमेंट्स सरीखे दस्तावेज बताते हैं कि भागलपुर के सिविल कलक्टर बनने के बाद जेम्स बर्टन ने कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) स्थित कंपनी मुख्यालय फोर्ट विलियम से जोसेफ शेरवर्न के स्थान पर अगस्तस क्लीवलैंड को अपने कलेक्ट्रेरियट का सहायक बनाने की मांग की थी जिसपर कंपनी की सहमति मिल गई थी जिसके बाद क्लीवलैंड कलक्टर बर्टन के मातहत काम करने लगे। तत्पश्चात् 13 नवंबर, 1779 को जेम्स बर्टन द्वारा निजी कारणों से कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया गया जिसके बाद के बाद कंपनी सरकार के आदेश से 20 नवंबर, 1779 को अगस्टस क्लीवलैंड भागलपुर के दूसरे कलक्टर के रूप में योगदान किया। शोधकर्ता इतिहासकार डॉ रमन सिन्हा बताते हैं कि मार्च, 2011 में एक अनौपचारिक बातचीत में तत्कालीन जिलाधिकारी नर्मदेश्वर लाल उनके शोध से सहमत होते हुए जिलाधिकारियों के सक्शेसन लिस्ट में भागलपुर के पहले कलक्टर के रूप में अगस्टस क्लीवलैंड का नाम हटवाकर जेम्स बर्टन का नाम अंकित करवाया। (लेखक पूर्व जनसंपर्क उपनिदेशक एवं इतिहासकार हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 8 मई /2025