इन्दौर (ईएमएस) दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में आज जीवन है पानी की बूंद, कब मिट जाऐ रे के रचयिता उच्चारणाचार्य विनम्र सागर जी महाराज ने धर्म सभा में प्रवचन देते हुए कहा कि संसार के राग में संतुष्ट मत होना। संसार में असार है असार में सार है। जो भी वस्तु तुम्हें प्राप्त है उसमें असार है, सार दिखता नहीं जो दिखता है वह असार है तुम असार को ही सार समझ बैठे हो सार जब भी निकलेगा असार से ही निकलेगा। सार मिलता नहीं वस्तु से ही सार निकाला जाता है। दूध का सार घी है लेकिन दिखाई नहीं देता, मिट्टी में भी सोना है लेकिन दिखाई नहीं देता जो दिखाई देता है वह असार है और असार को सार समझना भ्रांति है । सार को प्राप्त करने के लिए विधि अनुसार पुरुषार्थ करना पड़ता है। सार सभी में हैं जिंदगी के सार को समझने का पुरुषार्थ करें संसार मिट जाएगा अन्यथा संसार बढ़ जाएगा, संसार का बढ़ना जीवन की सार्थकता नहीं है। धर्म सभा में मुनि श्री विनत सागर जी ने भी प्रवचन देते हुए कहा कि सच्चा जैन कहलाने का अधिकारी वही हैं जो अष्ट मूल गुणो और श्रावक के 6 आवश्यक कर्तव्यों देव पूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप और दान का पालन करता है। धर्म प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि धर्म सभा का संचालन जिनालय ट्रस्ट अध्यक्ष भूपेंद्र जैन ने किया। धर्म सभा में मुनि श्री विनतसागरजी के गृहस्थ जीवन के पिता महेश चंद्र जैन के साथ हीरालाल शाह,अरविंद सोधिया, रूपचंद जैन, आलोक जैन, वीरेंद्र जैन आदि गणमान्य उपस्थित थे। आनन्द पुरोहित/ 08 मई 2025