लेख
13-May-2025
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20 साल पहले तक जन सामान्य द्वारा 100 वाट के विद्युत बल्ब इस्तेमाल में लाए जाते थे, लेकिन वर्तमान समय में बल्ब के स्थान पर 2- 4-5 और 10 वाट की सीएफएल को इस्तेमाल में लिया जा रहा है क्योंकि 2-4-5और 10वाट की सीएफएल विधुत बचत के साथ बल्कि बल्बों से ज्यादा पर्याप्त मात्रा में रोशनी देती हैं। फ्रिज, कूलर, हो या वाशिंग मशीन या अन्य कोई भी जनसामान्य के उपयोग में लाया जाने वाला उपकरण सबको प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से ऊर्जा कुशल बनाया जा रहा है। आधुनिक तकनीक के बेहतर उपयोग से बने स्मार्ट मीटर से विद्युत इस्तेमाल का बेहतर निरीक्षण संभव हो सका है। रेलवे ,ऑटोमोबाइल्स, उड्डयन इत्यादि में भी तकनीक के इस्तेमाल से ऊर्जा संरक्षण में इजाफा हुआ है। प्रौद्योगिक के इस्तेमाल से ऊर्जा संवहन को बेहतर बनाने का काम इन दिनों युद्व स्तर पर चल रहा है ।जैसे आजकल ग्रीन स्विच , स्मार्ट एचवीएसी और स्मार्ट लाइटनिंग तकनीको का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। ग्रीन स्विच जहां सामान्य स्विचों से काफी कम ऊर्जा से संचालित होते हैं ,वही जल्दी गर्म भी नहीं होते ।स्मार्ट एचवीएसी घरेलू आवास अथवा कार्यालय के रिक्त भाग में विद्युत खपत को सीमित करते हैं, और विद्युत का अनावश्यक उपयोग पर रोकते हैं। स्मार्ट लाइटनिंग गति संवेदको की मदद से ऊर्जा की खपत को काफी हद तक काम कर देते हैं। वर्तमान समय में तकनीकी उन्नति के प्रयास अपनी चरम सीमा पर हैं, और इसमें दिन प्रतिदिन इजाफा भी होता जा रहा है ।आज तकनीकी का इस्तेमाल व्यक्तिगत, व्यावसायिक, प्रशासन और राजकीय सभी कार्यों में बिना किसी हिचकिचाहट के किया जा रहा है ।बड़े कारोबारी संस्थानो लेकिन आप करमें आधुनिक तकनीक का उपयोग स्वचालन के लिये हो रहा हैं , वहीं शासकीय संस्थानों आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है। लेकिन तकनीकी के प्रयोग से यहां जनजीवन ,व्यापार और प्रशासन में काफी सहूलियत हो रही है। वहीं दुर्लभ ऊर्जा स्रोत घटते जा रहे हैं। तकनीकी के इस्तेमाल के लिए ऊर्जा के अधिकाधिक उपयोग से भूमि, जल और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के ऊपर दबाव बढ़ता जा रहा है। बढती आबादी और संसाधनों के बढ़ते उपयोग के कारण पारंपरिक ऊर्जा के स्रोतों का तेजी से क्षरण हो रहा है। दिन प्रतिदिन मोटर गाड़ियां, रेलगाड़ी, हवाई जहाज इत्यादि की संख्या में द्रुत गति से इजाफा हो रहा है ।कल कारखानों में भी मशीनों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है ।मशीनों पर निर्भरता का सीधा मतलब है ऊर्जा का अतिरिक्त इस्तेमाल। निश्चित तौर पर तकनीक और प्रौद्योगिकी में ऊर्जा का अधिकार अधिक उपयोग होता है लेकिन ऊर्जा संरक्षण में भी अब तकनीक का प्रत्यक्ष इस्तेमाल होने लगा है परिणाम स्वरुप अब ऊर्जा कुशल विसर्जन को अहमियत दी जा रही है ।20 साल पहले आमतौर पर 100 वाट के बल्ब उपयोग में ले जाते थे लेकिन अब उनके स्थान पर 2-4-5और 10 वाट की सीएफए का उपयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है,, क्यों कि सीएफएल से पर्याप्त प्रकाश तो मिलता ही है और साथ ही बिजली की भी बचत होती है। कूलर ,फ्रिज हो अथवा वाशिग मशीन या फिर अन्य कोई घरेलू विद्युत उपकरण सबको प्रौद्योगिकी के उपयोग से उर्जा कुशल बनाया जा रहा है। तकनीक के उपयोग से बने स्मार्ट मीटर से विद्युत उपयोग का बेहतर निरीक्षण संभव हो सका है ।ऑटोमोबाइल्स, रेलवे, उड्डयन आदि में भी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से ऊर्जा संरक्षण में इजाफा हुआ है। प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से ऊर्जा संवहन को बेहतर बनाने का काम भी युद्व स्तर पर चल रहा है ।जैसे आजकल ग्रीन स्विच, स्मार्ट एचवीएसी और स्मार्ट लाइटनिंग तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है ।ग्रीन से काफी कम ऊर्जा को संचालित होते हैं वहीं जल्दी कम भी नहीं होती स्मार्ट हब एक घर या कार्यालय के रिक्त हिस्से में विद्युत खपत को सीमित करते हैं और विद्युत का अनावश्यक उपयोग रोकते हैं। स्मार्ट लाइटनिंग गति संवेदकों की मदद से ऊर्जा की खपत को काफी कम कर देती है, यह भी सुनिश्चित करती है कि आवश्यक क्षेत्रों को हमेशा प्रकाशित रखा जा सके। तकनीकी के सहयोग से बायोगैस, बायोमास,ज्वारीय ऊर्जा,पवन ऊर्जा, दीप्तिमान ऊर्जा,भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा,जल विद्युत, परमाणु ऊर्जा, जैसे अक्षय ऊर्जा के स्त्रोतों को तलाशा और उपयोगी बनाया जा सकता है। अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत शने -शने प्रचलित हो रहे हैं क्योंकि अक्षय ऊर्जा बनाने के लिए किसी भी संसाधन का हास नहीं होता। अक्षय ऊर्जा को नवी नवीनीकरण स्रोत भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकृति में निरंतर उत्पन्न हो सकती है। तकनीक से अक्षय ऊर्जा के बड़े स्रोतों को तलाश ने, पड़ताल करने से लेकर मानव उपयोग के लिए अनुकूल बनाने तक में हर स्तर पर काफी सहयोग मिलता है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से ऊर्जा संसाधनों के लिए उपयोग किए जाने वाले विश्व भर के प्रमुख बिजली संयंत्र में परमाणु ऊर्जा का दोहन और भंडारण किया गया है ।यहां तक की फुकुशिमा के परमाणु संयंत्र और चनोबिल संयंत्र जैसे रेडियोधर्मी रिसाब जोखिम वाले संस्थानों को भी तकनीकी की माध्यम से संचालित और नियंत्रित किया जा रहा है। विधुत संरक्षण में बैटरियों का उपयोग इन दिनों प्रौद्योगिकी के माध्यम से विद्युत संरक्षण के लिए बैटरियों का उपयोग किया जा रहा है ,जो ऊर्जा का भंडारण करती हैं तथा मोटर और मशीन को चलाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। पवन टरबाइन, पनबिजली इत्यादि संयंत्रो का बेहतर संचालन तकनीकी के कारण ही संभव हो सका है। ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग अनेक संगठन परिवहन और यात्रा के संबंध में अवांछित गतिविधियों को ट्रैक कर यातायात को नियंत्रित करने में कर रहे है यातायात को नियंत्रित कर प्रत्यक्ष तौर पर अत्यधिक ऊर्जा का संरक्षण किया जा सकता है। ड्रोन और मॉनिटर का उपयोग भी इन दिनों बढ़ रहा है ।जिससे उपभोक्ताओं तक आवश्यक वस्तुओं का परिवहन और वितरण आसान होता जा रहा है, इससे ऊर्जा की खपत में कमी भी हुई है ।ऊर्जा के उपयोग की पड़ताल और निगरानी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से मानवीय और प्रचालनगत त्रुटियों को समाप्त किया जा सकता है। डाटा साइंस का उपयोग कर उपभोक्ता के उपयोग प्रारूप को अच्छे से समझाया जा सकता है, और आवश्यक सुझाव और चेतावनी देकर कई संस्थाएं अपनी सेवाओं को बेहतर भी बना रही हैं ।आज संयंत्र में में ईंधन के तौर पर कोयले की कमी की खबर राष्ट्रीय समाचार पत्रों में जब तक आती रहती है ।तकनीक के उपयोग से ही संयंत्र के लिए आवश्यक कच्चे माल की कमी का अंदाजा लग जाता है, जिससे वक्त रहते जरूरी कदम उठाए जा सके। देश में जनसंख्या वृद्धि के साथ ऊर्जा की आवश्यकता में भी वृद्धि होती जा रही है। ऊर्जा की आवश्यकता भविष्य में आज की अपेक्षा कई गुना बढ़ने वाली है। इन परिस्थितियों में सरकार भी एहतियातन कदम उठाकर अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ाने का जतन कर रही है, जिसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिली है। (लेखक के विषय में -मध्य प्रदेश शासन से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार है) ईएमएस / 13 मई 25