राष्ट्रीय
13-May-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। पहलगाम में 26 बेकसूर सैलानियों की हत्या भारत-पाकिस्तान संबंधों के इतिहास का कमजोर मोड़ था जहां से चीजें बदल गई। आतंकियों की इस करतूत से भारत स्तब्ध था। 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद बीते 5 साल में भारत पाकिस्तान के संबंधों में मामूली सा सुधार हो रहा था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी की हसीन वादियां पर्यटकों से गुलजार हो रही थीं। तभी पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों को धर्म पूछकर उन्हें मार डाला। इस घटना ने भारत-पाकिस्तान संबंधों के सारे नियम बदल दिए। बात दें कि भारत-पाकिस्तान के बीच 47 से ही रिश्ते खराब थे। लेकिन इस रिश्ते को पटरी पर लाने के लिए बीच बीच में पहल की गई। अमन की आशा ऐसी ही एक पहल थी। यह दौर भारत की उस नीति का हिस्सा था, जिसमें पाकिस्तान के साथ बातचीत, व्यापार, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए तनाव कम करने की कोशिश की गई। 1990 और 2000 के दशक में भारत ने कई बार शांति वार्ता की पहल की, जैसे 1999 में पीएम वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा और 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन शामिल था। हालांकि इस दौरान भी पाकिस्तान अपने स्टैंड पर कायम रहा और भारत को चोट देने की नापाक कोशिश करता रहा। लेकिन आईएसआई के टेरर टैक्टिस, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की करतूतों ने भारत की अपेक्षाओं पर कुठाराघात किया। भारत में यह धारणा मजबूत हुई कि पाकिस्तान की सरकार और सेना शांति वार्ता का इस्तेमाल केवल दिखावे के लिए करती है, जबकि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देती है। इन्ही परिस्थितियों में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। हमले की टाइमिंग महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह घटना तब हुई जब पीएम मोदी सऊदी अरब दौरे के पर थे। जबकि अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर थे। हमले के बाद सऊदी अरब का दौरा रद्द कर स्वदेश लौटे पीएम मोदी ने कहा कि इस जघन्त करतूत को अंजाम देने वालों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा। पीएम मोदी का ये बयान संकेत था भारत पाकिस्तान को लेकर अपनी नीतियों से बड़ा प्रस्थान करने वाला है। इसके बाद भारत ने सिंधु जल समझौता रद्द कर पाकिस्तान को सबसे पहले चोट दी। यह एक रणनीतिक कदम था, क्योंकि पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था सिंधु नदी पर निर्भर है। आशीष/ईएमएस 13 मई 2025