13-May-2025


- बिगड़े वन सुधार नीति पर वनवासी संघ-आदिवासी संगठन पहले से नाराज भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश सरकार अब निजी क्षेत्र के सहयोग से वन्यप्राणियों का संरक्षण करेगी। इसके लिए वन विभाग ने नीति का प्रारूप तैयार कर लिया है, जो अनुमोदन के लिए कैबिनेट को भेजा है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के अंतर्गत अनुदान लेकर काम कराए जा सकेंगे। ऐसा तब किया जा रहा है, जब निजी क्षेत्र के सहयोग से बिगड़े वनों के सुधार की नीति का खुलकर विरोध हो रहा है। वन विभाग द्वारा प्रदेश के बिगड़े वनों के सुधार के लिए दो माह पहले नीति लाई गई थी। इसके बाद आरएसएस से जुड़े वनवासी विकास संघ और अन्य आदिवासी संगठनों ने इसका विरोध किया था। इसको लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम डॉ. मोहन यादव से मुलाकात करके कहा था कि ऐसे में वनों का संरक्षण होने के बजाय नुकसान की स्थिति बनेगी। निजी क्षेत्रों के हस्तक्षेप के चलते वनों का ढांचा और भी गड़बड़ा जाएगा। इसलिए इस नीति पर काम नहीं करने के लिए कहा गया था। मुख्यमंत्री ने इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया था और इसके बाद निजी क्षेत्रों के सहयोग से बिगड़े वनों का विकास संबंधी कार्यक्रम रुक गया है। इन हालातों को देखते हुए वन अफसरों ने अब एक नीति का मसौदा तैयार किया है। इसमें निजी क्षेत्रों के सहयोग से वन्य प्राणियों के संरक्षण का प्रस्ताव है और इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सीएसआर और अन्य प्रावधानों के अंतर्गत वन्य प्राणियों के रहवास और संरक्षण को लेकर वन विभाग अंशदान लेकर काम करा सकेगा। बताया जाता है कि टाइगर फाउंडेशन कमेटी में सीएसआर मद में राशि लिए जाने का प्रावधान है लेकिन इसको लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है। इसलिए वन अफसरों ने अब नई नीति तैयार की है और शासन की परमिशन मिलने के बाद इस पर काम किया जाएगा। विनोद / 13 मई 25