भारत -पाकिस्तान के बीच 19 दिनों तक हुई जंग में भारत ने सौ से अधिक आतंकियों व 40 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने में तो सफलता हासिल की है लेकिन जिन 4 आतंकियों ने पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों को गोली बरसाकर मार डाला था,उन आतंकियों को कब दंड मिलेगा,यह सवाल हर भारतीय के जहन में है।कम से कम युद्ध विराम समझौते में पाकिस्तान के सामने पहलगाम के हत्यारों को भारत को सौंपने की शर्त रखी जाती तो उन परिवारों को सब्र मिल जाता जिनके परिवार के लोग बेमौत मारे गए है।जबकि भारतीय सेना का देश के प्रति समर्पण इस कदर है कि सैनिक अपनी शादी के जश्न को छोड़कर भी युद्ध भूमि में गए है। बक्सर जिले के नंदन गांव में फौजी त्यागी यादव की शादी 7 मई को प्रिया कुमारी से हुई है, लेकिन अगले ही दिन 8 मई को उनके लिए भारतीय सेना से ड्यूटी का बुलावा आ गया,क्योंकि भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण सभी सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं थी।त्यागी ने तुरंत वर्दी पहनी और दुल्हन को घर पर छोड़कर देश की सेवा में निकल पड़े।हालांकि उन्होंने शादी के लिए खासतौर पर छुट्टी ली हुई थी, लेकिन जब देश की सुरक्षा के लिहाज से हालात गंभीर हैं तो ऐसे में निजी जीवन से बड़ा कर्तव्य देश के प्रति बन जाता है,जिसका पालन उन्होंने किया है। यह सोच सिर्फ इस भारतीय सैनिक की ही नही बल्कि देश के सभी सैनिकों के साथ साथ आम भारतीय नागरिक भी पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए लालायित है।भारत के वीर सैनिक पाकिस्तान के हर हमले का जवाब देकर उसे न सिर्फ नाकाम कर रहे है बल्कि जवाबी हमले में उसे बर्बाद भी कर रहे है।लेकिन तभी चालबाज पाकिस्तान घुटने टेक देता है और सीज फायर का प्रस्ताव रखता है,भारतीय सैनिकों के ऊंचे हौंसलो व देश की जनता के आर पार की लड़ाई के सपनो के बीच थमी युद्ध की रफ्तार के मात्र 3 घण्टे बाद ही फिर झूठे पाकिस्तान ने सीज फायर का उल्लंघन कर अपनी ओकात दिखा दी है।जिसपर भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम के उल्लंघन को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि सेना को सख्त कदम उठाने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने को लेकर हुए समझौते का पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों में घोर उल्लंघन किया है।विक्रम मिसरी ने बताया कि भारतीय सेना पूरी दृढ़ता से जवाबी कार्रवाई कर रही है और सीमा पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने में जुटी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से यह कार्रवाई अत्यंत निंदनीय है और इसकी पूरी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है।उन्होंने कहा, सशस्त्र बल हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सीमा तथा नियंत्रण रेखा पर किसी भी तरह के उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर सख्ती से कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। विदेश सचिव ने यह भी कहा कि हम पाकिस्तान से अपेक्षा करते हैं कि वह स्थिति की गंभीरता को समझे और तत्काल प्रभाव से इस अतिक्रमण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।भारतीय सेना इस स्थिति पर लगातार निगरानी बनाए हुए है और किसी भी प्रकार के उल्लंघन का कड़ा और निर्णायक उत्तर देने के लिए पूरी तरह तैयार है। सीजफायर लागू होने के मात्र चार घंटे के अंदर ही पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन कर सीमा पार से गोलीबारी शुरू की है,साथ ही कई शहरों को ड्रोन के जरिए निशाना बनाया है। इससे पहले भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई को लेकर बड़ा फैसला लिया था,सरकार ने सख्त संदेश देते हुए कहा था कि भविष्य में कोई भी आतंकी घटना भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी।पाकिस्तादन की ओर से युद्धविराम की घोषणा के बाद जम्मूे-कश्मीेर, पंजाब, राजस्था।न और गुजरात में देर शाम फिर गोलीबारी और ड्रोन अटैक किया गया। श्रीनगर और बड़गाम में सैन्य ठिकानों और श्रीनगर एयरपोर्ट पर हमले की कोशिश की गई,हालांकि हमले की सभी कोशिश नाकाम कर दी गईं है। सभी ड्रोन हवा में मार गिराए गए।अभी भी पाकिस्तांन की ओर से लगातार धार्मिक स्थालों को निशाना बनाया जा रहा है। पाकिस्तानी हमले में जम्मू के शंभू मंदिर और आवासीय क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा है। श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर में भी ड्रोन से हमले की कोशिश हुई है।लेकिन उस हमले को भी नाकाम कर दिया कर गया।जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की गोलीबारी में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया और सात अन्य घायल हो गए। सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उपनिरीक्षक मोहम्मद इम्तियाज ने वीरतापूर्वक आगे बढ़कर नेतृत्व करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। इससे पहले भारत और पाकिस्तान युद्ध विराम पर सहमत हो गए थे। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने घोषणा की थी कि दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों ने 10 मई की शाम पांच बजे से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला किया था, लेकिन इस युद्ध विराम को कुछ घंटे बाद ही पाकिस्ताबन ने तोड़ दिया है।भारत और पाकिस्तान द्वारा सैन्य कार्रवाई रोके जाने संबंधी निर्णय को सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया था और दावा किया था कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता अमेरिका की मध्यस्थता से हुई है। हालांकि, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह परिणाम भारतीय और पाकिस्तानी पक्षों के बीच प्रत्यक्ष बातचीत का नतीजा है और इस्लामाबाद ने ‘बिना किसी पूर्व शर्त, बिना किसी बाद की शर्त और अन्य मुद्दों से किसी संबंध के बिना इस पर सहमति जताई है।हमारी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना को बहुत भारी नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तान के थल और वायु ठिकानों पर वार किया गया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की एयरफील्ड्स जिसमें स्कर्दू, जकोबाबाद,सरगोदा और भुलारी शामिल है, को बहुत नुकसान पहुंचाया गया है।पाकिस्तान के एयर डिफेंस और रेडार सिस्टम को भी ध्वस्त किया गया है।जिसके बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान, ने चार दिन की तीव्र सैन्य झड़पों के बाद पूर्ण और तत्काल युद्धविराम की घोषणा की। यह संघर्ष, जो नियंत्रण रेखा पर मिसाइल हमलों और ड्रोन युद्ध तक बढ़ चुका है, न केवल दोनों देशों की सैन्य रणनीतियों को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक कूटनीति और आर्थिक दबावों के पीछे की कहानी भी बयान करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान से इतर विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के सैन्य महानिदेशकों के बीच सीधी बातचीत से हुआ है, जो 10 मई की दोपहर 3:35 बजे शुरू हुई और शाम 5 बजे से युद्व विराम लागू हो गया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी सोशल मीडिया पर युद्धविराम की पुष्टि की है। युद्धविराम में अमेरिका की भूमिका थी या नही यह तो दोनों देशो के शीर्ष नेतृत्व जानते है, लेकिन भारत और पाकिस्तान दोनों ने इसे अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की।लेकिन पाकिस्तान द्वारा स्वयं ही युद्ध विराम का उल्लंघन करने पर विदेश सचिव मिस्त्री ने संकेत दिया कि दोनों देशों के सैन्य महानिदेशक फिर से बात करेंगे, क्योंकि फिलहाल यह युद्धविराम अस्थायी प्रतीत हो रहा है। वास्तविकता यह है कि युद्धविराम केवल भारत और पाकिस्तान की इच्छा का परिणाम नहीं है; बल्कि इसमें कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के देशो की भूमिका थी। सऊदी अरब, कतर, और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों ने दोनों देशो के साथ राजनयिक बातचीत की। ये देश, जो भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं, तनाव को कम करने के लिए आगे आ रहे है।वही अमेरिका का ध्यान अब चीन को नियंत्रित करने और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर केंद्रित है, क्योंकि दक्षिण एशिया में अस्थिरता उसके हितों के लिए खतरा है।पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम का सबसे बड़ा कारण सैन्य रणनीति से अधिक आर्थिक दबाव था। पाकिस्तान, जो मुद्रास्फीति, ऊर्जा संकट, और कमज़ोर कर आधार से जूझ रहा है, 9 मई को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.1 अरब डॉलर की राशि प्राप्त करने में सफल रहा है। यह 7 अरब डॉलर के बेलआउट का हिस्सा था। लेकिन इस पैसे के साथ शर्तें थीं: सब्सिडी में कटौती, कर सुधार, और सबसे महत्वपूर्ण—युद्ध से बचना,उसकी प्राथमिकता होगी,तभी तो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की निगरानी ने पाकिस्तान पर युद्ध विराम के लिए दबाव डाला। पाकिस्तान की बढ़ती बाहरी वित्तपोषण पर निर्भरता, भारत के साथ संघर्ष को बढ़ाने की उसकी क्षमता पर एक बड़ी बाधा कही जा सकती है। पाकिस्तान के लिए, आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने की आवश्यकता उसकी रणनीतिक स्वायत्तता को सीमित करती है। भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल जैसे रणनीतिक साझेदारियों ने निर्णायक रूप से जवाब देने की उसकी क्षमता को बढ़ाया है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय वैधता को बनाए रखा है। भारत के इज़राइली मूल के ड्रोन और साइबर युद्ध क्षमताओं के उपयोग पर प्रकाश डालता है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि तकनीकी प्रगति ने संघर्ष की गतिशीलता को कैसे नया रूप दिया है। सऊदी अरब और यूएई जैसे खाड़ी देश, जो कभी पाकिस्तान के बिना शर्त समर्थक थे, अब दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करते हैं, भारत को एक आकर्षक आर्थिक साझेदार के रूप में देखते हैं।तभी तो भारत को किसी बड़े देश की मध्यस्थता स्वीकार करने के बजाए पाकिस्तान को इस बार कड़ा सबक सिखा देना चाहिए था ,जैसा कि कभी प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करके व पाकिस्तान सेना के 93 हजार से अधिक सैनिकों को आत्मसमर्पण कराकर अपनी ताकत का एहसास कराया था।इस समय देश मे जब विपक्ष भी पूरी ताकत के साथ सरकार के साथ खड़ा था,ऐसे में अचानक युद्ध विराम के बजाए अविश्वासी पाकिस्तान को कड़ा दंड देना चाहिए था।क्योंकि जिस तरह से युद्ध विराम के बाद भी पाकिस्तान की ओछी हरकतें सीमाओं पर जारी है,उसे देखकर तो यही लगता है कि वह बिना पिटे सुधरने वाला नही है।(लेखक राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ साहित्यकार है) ईएमएस / 14 मई 25