राष्ट्रीय
18-May-2025
...


कहा-भ्रष्टाचार के ऐसे मामले पूरे देश में फैले, सभी राज्य ऐसी डील्स की कराएं जांच नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के कार्यकाल में किए गए एक विवादित भूमि सौदे को अवैध करार दे दिया है। यह फैसला देश की न्यायपालिका की दृढ़ता और संविधान की सर्वोच्चता को दर्शाता है। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने सीजेआई पद की शपथ लेने के 24 घंटे के अंदर यह फैसला सुनाते हुए महाराष्ट्र की 30 एकड़ वनभूमि को तत्काल वन विभाग को लौटाने का निर्देश दिया है। यह जमीन 1998 में, जब नारायण राणे महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री थे, बिल्डरों को दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस डील को “अवैध और जनहित के खिलाफ” बताया है। कोर्ट ने न केवल इस सौदे को रद्द किया, बल्कि नेता, बिल्डर और अफसरों की गठजोड़ की ओर भी इशारा किया, जिसे ‘जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात’ कहा गया। जस्टिस गवई ने साफ कहा कि भ्रष्टाचार के ऐसे मामले पूरे देश में फैले हैं और सभी राज्यों को इस तरह की डील्स की जांच करनी चाहिए। कोर्ट ने आदेश में कहा कि ऐसी डील्स सिर्फ विकास के नाम पर सरकारी संपत्तियों की लूट है, जिनका मकसद कुछ खास निजी हितों को फायदा पहुंचाना होता है। इस फैसले से बीजेपी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति भी कटघरे में आ गई। नारायण राणे फिलहाल केंद्र सरकार में मंत्री हैं, जबकि उनके बेटे नितेश राणे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं। राजनीतिक हलकों में इस फैसले के दूरगामी असर की चर्चा हो रही है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि सीजेआई गवई ने राणे को पहली ही गेंद पर क्लीन बोल्ड कर दिया। इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं, जहां लोग इसे भ्रष्टाचार पर न्यायपालिका का सीधा प्रहार बता रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि न्यायपालिका संविधान की रक्षा में अडिग है और किसी भी सियासी दबाव के आगे झुकने वाली नहीं। सिराज/ईएमएस 18मई25