20-May-2025
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इस्लामाबद,(ईएमएस)। पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकियों को पलाता हैं, यह बात पूरी दुनिया जानती है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी अड्डों को तबाह किया। इसके पहले पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर कारोबार पूरी तरह से रोक दिया गया। भारत के सख्त एक्शन के बाद पहले से ही खस्ताहाल मुल्क पाकिस्तान की हालत और भी बिगड़ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान खाद्य सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक हालात का सामना कर रहा है। दिसंबर 2024 तक खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.3 प्रतिशत रह गई, जो वर्ष की शुरुआत में दोहरे अंकों से कम थी, लेकिन गरीबी और बेरोजगारी, भोजन तक सभी की पहुंच में सबसे बड़ी बाधा बन रही है। साल 2022 की बाढ़ ने पाकिस्तान पर गहरे निशान छोड़े हैं। साल 2023 और 2024 में बेमौसम की घटनाओं ने आजीविका को खत्म किया, खासकर पाकिस्तान के ग्रामीण क्षेत्र बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में संकट ज्यादा गहरा है। इन क्षेत्रों में जलस्तर लगातार कम हो रहा है, इससे कृषि घाटा बढ़ रहा है और उसपर निर्भर किसान गहरे कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं। नई रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया कि पाकिस्तान में 11 मिलियन लोग आईपीसी फेस 3 संकट या उससे भी बदतर हालात में हैं, जबकि 2.2 मिलियन लोगों के सामने इमरजेंसी जैसी स्थिति है। सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में कुपोषण का लगातार बढ़ना चिंताजनक है, जहां कम वजन वाले बच्चों की बड़ी संख्या जन्म लेती है और डायरिया और फेफड़ों से संबंधित इंफेक्शन बढ़ा है। इंडीग्रेटिड फूट सिक्योरिटी फेस क्लासिफिकेशन फेस-3 का मतलब है कि आजीविका को बचाने, खाद्य संकट दूर करने और कुपोषण से लड़ने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। वैश्विक संस्थाओं से पाकिस्तान को मानवीय आधार पर मिलने वाली आर्थिक मदद कम हुई है, जिससे वहां खाद्य सुरक्षा, कुपोषण जैसे चुनौतियों से निपटने में दिक्कत आ रही है। रिपोर्ट में कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल नीतियों में बदलाव की जरूरत है। केंद्र और प्रांतों को अपना सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही माताओं और बच्चों के लिए पोषण सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए और कृषि में ज्यादा निवेश करना चाहिए। निर्णायक कार्रवाई के बिना, पाकिस्तान पर भूख और गरीबी के पुराने चंगुल में फिर से फंसने का खतरा मंडरा रहा है। वहीं पाकिस्तान सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा से ज्यादा खर्च आतंकियों पर कर रही है। आशीष दुबे / 20 मई 2025