झाबुआ (ईएमएस) स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्तों, सेनानियों के योगदान पर प्रकाशित एक पुस्तक की आरटीआई में जानकारी उपलब्ध कराने में लापरवाहीे पर मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने दो ज्वाइंट कलेक्टर के विरूद्ध संयुक्त रूप से 5 हजार की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करने का आदेश दिया है। आयोग ने यह निर्णय झाबुआ के संयुक्त कलेक्टर अक्षयसिंह मरकाम और नीमच की संयुक्त कलेक्टर श्रीमती प्रीति संघवी के खिलाफ पारित किया है। यह आदेश नागदा जिला उज्जैन के आरटीआई एक्टिविस्ट कैलाश सनोलिया के सूचना अधिकार में आयोग भोपाल में प्रस्तुत अपील के निर्णय में हुआ। इस पुस्तक में शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाबरा (झाबुआ) समेत स्वाधीनता आंदोलन में जिले भर के देशभक्तों की स्मृतियों के संकलन पर प्रकाशित पुस्तक से जुड़ा मामला है। यह पुस्तक कलेक्टर कार्यालय झाबुआ से कबीर निधि से प्रकाशित हुई थी। जिसकी प्रति सूचना अधिकार में मांगी गई थी। उक्त प्रकरण में समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं करने तथा पुस्तक की जगह अन्य पुस्तक प्रदान करने से पीडित को हुई श्रम,धन एवं समय की बर्बादी पर आयोग ने क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करने का आदेश दिया है। आयोग द्वारा आदेश के परिपालन हेतु कलेक्टर झाबुआ को निर्देश दिया गया है। आयोग कमिश्नर डॉ. उमाशंकर पचौरी की खंडपीठ ने निर्णय में उक्त दोनों अधिकारियों को नसीहत भी दी है कि अब भविष्य में सूचना अधिकार के आवेदनों का निराकरण गंभीरतापूर्वक विधि सम्मत तरीके से करें। आयोग़ निर्णय अभिलेख के मुताबिक आजादी की 50 वी वर्षगांठ पर मप्र शासन की योजना के तहत स्वाधीनता संग्राम में झाबुआ जिले का योगदान विषय पर एक पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 1999 में हुआ था। जिसका लोकार्पण तत्कालीन झाबुआ कलेक्टर वसीम अख्तर के कार्यकाल में 6 अगस्त 2000 को तत्कालीन तत्कालीन प्रभारी मंत्री घनश्याम पाटीदार के हाथों हुआ था। उक्त पुस्तक में चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाबरा से संबधित स्मृतियां भी प्रकाशित की गई थी। संविधान सभा के पूर्व सदस्य कुसुमकांत इस पुस्तक प्रकाशन समिति के अध्यक्ष थे। सनोलिया ने एक सूचना अधिकार में कलेक्टर कार्यालय झाबुआ से अप्रैल 2022 में इस प्रकाशित पुस्तक की प्रति के साथ पुस्तक के मुद्रण खर्च, लेखकों के पारिश्रमिक, संपादकीय मंडल की बैठक आदि का विवरण मांगा था। झाबुआ कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ तत्कालीन ज्वाइंट कलेक्टर श्रीमती प्रति संघवी ने बतौर लोकसूचना अधिकारी आवेदक को इस पुस्तक की जगह अन्य पुस्तक प्रदान करते हुए शेष बिंदुओं की जानकारी प्रदान करने से इंकार किया। मामला जब सूचना अधिकार की विभिन्न प्रकियाओं से सूचना आयोग में पहुंचा तो वर्तमान ज्वाइंट कलेक्टर झाबुआ एवं लोकसूचना अधिकारी अक्षयसिंह मरकाम को आयोग ने सारी जानकारियां प्रदान करने का आदेश दिया। कलेक्टर कार्यालय में आसीन प्रशासनिक अधिकारी मरकाम और श्रीमती संघवी दोनों ने पहले आयोग को अवगत कराया कि इस प्रकार की किसी भी पुस्तक का प्रकाशन नहीं हुआ। सनोलिया ने आयोग के समक्ष सुनवाई में यह मामला उठाया कि उन्हें वास्तविक की जगह अन्य गुमराहपूर्ण पुस्तक प्रदान कर झूठा जवाब दिया गया कि इस प्रकार की कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई। अपनी बात के पक्ष में अपीलार्थी ने पुस्तक प्रकाशन संपादक मंडल के सदस्य रहे पत्रकार क्रांति कुमार वैद्य (उज्जैन) को आयोग में उपस्थित किया। अधिकारियों के दावे को झूठलाने के लिए वैध के पास सुरक्षित पुस्तक की प्रति भी आयोग में पेश कर दी। निर्णय में उल्लेख है कि पुस्तक को तलाशने के लिए एक कमेटी का गठन कलेक्टर कार्यालय झाबुआ में किया गया। आखिरकार पुस्तक मिली और उपलब्ध करा दी गई। हालांकि अभी इस पुस्तक से संबधित अन्य कुछ बिंदुओं की जानकारी उपलब्ध नही होने का सदर्भ निर्णय में दिया है। आयोग ने इस बात को माना कि दोनों अधिकारियों ने आरटीआइ आवेदन को गंभीरता से नहीं लिया। यह भी माना कि आरटीआई आवेदन का विधि विरूद्ध निराकरण किया। आवेदक को जानकारी प्राप्त करने में अतिरिक्त समय, श्रम एवं धन की बर्बादी हुई। इसलिए बतौर क्षतिपूर्ति राशि दोनों अधिकारियों से 5 हजार निर्धारित कर अपीलार्थी को प्रदान करने का आदेश पारित किया गया है। ईएमएस/ डॉ. उमेशचन्द्र शर्मा/ 20/5/2025/