इस्लामाबाद,(ईएमएस)। भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को अब भी झटका लगा हुआ है। भले ही सैन्य टकराव थम चुका हो, लेकिन तनाव और खौफ का माहौल पाकिस्तानी सरकार में अब भी कायम है। इसी के चलते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ 25 से 30 मई के बीच तुर्की, अजरबैजान, ईरान और ताजिकिस्तान की यात्रा पर रहने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक यह दौरा भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक घेराबंदी के असर को कम करने और पाक के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश का हिस्सा है। चूंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था। तुर्की ने पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन मुहैया कराए थे, जिन्हें भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने इन सभी ड्रोनों को सफलतापूर्वक मार गिराया। अजरबैजान ने भी भारत द्वारा पाक के आतंकी शिविरों पर किए गए हमलों की आलोचना की थी और पाकिस्तान के प्रति एकजुटता प्रकट की थी। इसके बाद भारत में इन दोनों देशों के खिलाफ नाराजगी का माहौल देखा गया और सोशल मीडिया पर तुर्की और अजरबैजान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ती दिखी थी। गौरतलब हे कि भारत ने हाल ही में कई देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजकर पाकिस्तान की आतंकवाद पोषित नीतियों को उजागर करने का अभियान छेड़ा है। शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में ये डेलीगेशन अमेरिका, कतर, इथियोपिया, मिस्र, पनामा, और ब्राजील जैसे देशों में जाकर पाकिस्तान की पोल खोल रहे हैं। भारत का यह रुख पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गहरी चिंता का कारण बन गया है। कूटनीतिक आभार यात्रा या रणनीतिक मजबूरी? पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि शहबाज शरीफ इस यात्रा के दौरान चारों देशों के नेताओं से क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर चर्चा करेंगे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह यात्रा मुख्यतः उन देशों को धन्यवाद कहने के लिए है जिन्होंने हालिया भारत-पाक संकट के दौरान पाकिस्तान का साथ दिया है। भारत के कड़े सैन्य और कूटनीतिक कदमों से पाकिस्तान अब न केवल सैन्य स्तर पर, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी दबाव महसूस कर रहा है। ऐसे में शहबाज शरीफ की यह यात्रा पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक बचाव प्रयास के रूप में देखी जा रही है, जो यह साबित करती है कि भारत की नई नीति अब सिर्फ सीमा पर ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी असरदार है। हिदायत/ईएमएस 24मई25