राज्य
29-May-2025
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इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने बोरवेल खनन इजाजत के लिए दो हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ाए रिश्वतखोर बाबू की सजा को निलंबित करने से इनकार करते टिप्पणी की कि...सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों में, केवल इसलिए कि अपील की जल्द सुनवाई होने की संभावना नहीं है। अपीलकर्ता अपील दायर करते ही सजा के निलंबन का अधिकार नहीं मांग सकता। इससे आरोपी व्यक्तियों को भी बढ़ावा मिलेगा, जो मानते हैं कि वे हमेशा बच सकते हैं... भले ही वे रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए हों। रिश्वतखोर बाबू को जिला न्यायालय ने मामले में जिला न्यायालय ने 4 साल कारावास और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी जिस पर जमानत मिलने के बाद उस रिश्वतखोर बाबू ने हाइकोर्ट में सजा निलंबन याचिका दायर की थी। कोर्ट ने उक्त याचिका दायर करने को गलत माना और खारिज कर दिया। प्रकरण कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि रतलाम जिले के सैलाना एसडीएम कार्यालय में पदस्थ बाबू मनीष विजयवर्गीय को बोरवेल खनन की इजाजत के लिए 3 हजार की रिश्वत लेते 1 जनवरी 2019 को रंगेहाथ पकड़ा था। जिला न्यायालय ने ट्रायल के बाद उसे 4 साल कारावास और 2 हजार रुपए जुर्माने के दंड से दंडित किया था। उसने जमानत लेने के बाद इसके खिलाफ अपील दायर की जिस पर सुनवाई लंबित है। इस अपील याचिका के बाद इसकी सुनवाई को आधार बनाते विजयवर्गीय की ओर से हाईकोर्ट में उसकी सजा को निलंबित करने के लिए एक याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि चूंकि अपील पर जल्द सुनवाई की संभावना नहीं है, ऐसे में सजा निलंबित की जाए। हाईकोर्ट ने अपील दायर करने के तुरंत बाद ही जल्द सुनवाई नहीं होने की बात करते हुए सजा निलंबित करने की याचिका दायर करने को गलत माना। और याचिका खारिज करते हुए कहा कि इससे उन्हें बढ़ावा मिलेगा जो मान चुके कि वे बच सकते हैं, भले ही वो रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाएं। आनन्द पुरोहित/ 29 मई 2025