राष्ट्रीय
08-Jun-2025
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आरा(ईएमएस)। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान आरा के रामना मैदान में नव संकल्प महासभा को संबोधित करने वाले हैं। यह रैली न केवल चिराग की सियासी महत्वाकांक्षी राजनीति का प्रतीक है, बल्कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की रणनीति और विपक्षी महागठबंधन की चुनौतियों को भी बताने वाली है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तुत किए जाने का प्रयास कर रहे हैं। जानकारों की नजर में एनडीए के लिए रैली का महत्व-चिराग पासवान की यह रैली एनडीए के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला, यह रैली चिराग को बिहार की सियासत में एक बड़े नेता के रूप में स्थापित करने का मंच है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने पांच में से पांच सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया था जिसने उनकी लोकप्रियता और दलित समुदाय में पकड़ को मजबूत किया। अब चिराग पासवान की नजर 2025 के विधानसभा चुनाव पर है और वह शाहाबाद क्षेत्र की किसी सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। यह कदम उन्हें केवल दलित आइकन की छवि से बाहर निकालकर एक सर्वसमावेशी नेता के रूप में पेश करने की रणनीति का हिस्सा कहा जा रहा है। वहीं, चिराग पासवान अपनी इस रैली के माध्यम से एनडीए की एकजुटता का संदेश देते भी नजर आएंगे। चिराग ने हाल ही में कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन धर्म का पालन करेगी और सीट बंटवारे में बीजेपी और जेडी(यू) के साथ तालमेल बनाए रखेगी। राजनीति के जानकार कहते हैं कि आरा की रैली के माध्यम से चिराग पासवान शाहाबाद क्षेत्र के सात जिलों के एनडीए कार्यकर्ताओं को एकजुट करेंगे। ऐसे में एनडीए के लिए शाहाबाद क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर है। बता दें कि 2020 में गठबंधन को 22 में से केवल 2 सीटें मिली थीं। चिराग पासवान की साफ-सुथरी छवि, सभी वर्गों को आकर्षित करने वाला व्यक्तित्व और युवा अपील एनडीए को शहरी और ग्रामीण मतदाताओं, खासकर पासवान समुदाय (5.3 प्रतिशत आबादी) और अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच पैठ बनाने में मदद कर सकती है। चिराग की रैली नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। सूत्रों के मुताबिक, चिराग 40 सीटों पर दावा ठोक रहे हैं जो एनडीए के भीतर सीट बंटवारे के पेंच को बताता है। हालांकि, चिराग पासवान ने सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार के नेतृत्व का समर्थन किया है, लेकिन उनकी यह रैली भविष्य में मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी महत्वाकांक्षा का संकेत भी देती लगती है।दूसरी ओर चिराग पसवान की यह रैली महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती है। दरअसल, चिराग का दलित वोट बैंक, खासकर पासवान समुदाय महागठबंधन के लिए खतरा है। 2020 के चुनाव में महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थीं। इस गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के अतिरिक्त फिलहाल वीआईपी सहित छह दल हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/08जून2025