लेख
11-Jun-2025
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राजनीति में ऊँचाइयाँ अक्सर अहंकार को जन्म देती है,आम लोगों से दूरी पैदा करती हैं लेकिन कुछ नेता ऐसे भी होते हैं, जो जितना ऊपर जाते हैं। उतना ही नम्रता बढ़ती चली जाती है। नरेंद्र सिंह तोमर उन्हीं शख्सियत में से एक हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार नरेंद्र सिंह तोमर का आज जन्मदिन है। 12 जून 1957 को मुरैना की पावन धरा पर जन्मे तोमर ने अपनी जन्मभूमि के साथ-साथ मध्यप्रदेश एवं देश की राजनीति विशिष्ट स्थान बनाते हुए जन सेवा के मार्ग नए आयाम तक पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। मध्य प्रदेश से चलते हुए राजधानी दिल्ली की सत्ता के गलियारों में अपनी सौम्यता, सूझबूझ और संतुलन का बेहतरीन उदाहरण नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रस्तुत किया है। मुरैना से दिल्ली तक का सफर – जमीन से गगन की ओर तोमर के एक साधारण किसान परिवार से निकलकर राजनीति की ऊँचाइयों तक जाना अपने आप में सफलता की एक बड़ी मिसाल है। ABVP से शुरू हुआ छात्र जीवन के संघर्ष ने उनके मानवीय जीवन की संवेदनाओं को सोने की तरह खरा बना दिया विचार, नैतिक मूल्य समाज सेवा और राष्ट्र के प्रति समर्पण से उन्हें राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल हुई। छात्र जीवन की राजनीति से यात्रा शुरू कर पार्षद, विधायक, राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संगठन के विभिन्न पदों पर रहते हुए लोकसभा के सांसद, केंद्रीय मंत्री तक का उनका सफर राजनेताओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। राजनीति उनके लिए ‘पद की भूख’ नहीं, जनसेवा का माध्यम रही है। यही वजह है कि वे चाहे पार्टी संगठन में रहे हों या फिर केंद्र सरकार में मंत्री—हर भूमिका में उन्होंने कार्यकर्ताओं से लेकर आम जनता के विश्वास और भरोसे को जीतने का काम किया है। उनकी लोकप्रियता इसी बात से जानी जाती है। आज भी वह क्षेत्र में और प्रदेश में मुन्ना भैया के नाम से जाने जाते हैं। आम जनता हो या पार्टी संगठन के लोग हो, सभी के साथ उनकी आत्मीय संबंध देखने लायक होते हैं। केंद्र सरकार में कृषि, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और संसदीय कार्य मंत्रालय जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले तोमर, दिल्ली की राजनीति में शोर से दूर अपनी असरदार उपस्थिति वाले नेता हैं। उनके कृषि मंत्री के कार्यकाल में लागू प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-नाम, कृषि यंत्रीकरण योजना—सिर्फ़ योजनाएं नहीं, बल्कि गाँव-खेती-किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की बेहतर जमीनी कोशिशें थीं। जब कृषि कानूनों पर देशव्यापी बहस छिड़ी थी. उस समय सरकार और किसानों के बीच सेतु बनकर सामने आए। उन्होंने जितनी विनम्रता से किसानों के साथ संवाद किया.उतनी ही मजबूती से सरकार का पक्ष भी रखा। उनके व्यवहार में ना आक्रामकता थी, ना अहंकार था, सरकार और किसानों के बीच बस तथ्य, तर्क और संतुलन बनाने की कोशिश थी जिसमें वह सफल हुए. मध्यप्रदेश भाजपा आज एक सशक्त और अनुशासित संगठन के रूप में देखा जाता है. उसकी नींव में नरेंद्र सिंह तोमर की दीर्घकालिक मेहनत, गहरी पकड़ और सादगीपूर्ण नेतृत्व शैली तथा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी मिलन सारिता का बड़ा योगदान है। भाजपा युवा मोर्चा, प्रदेश महामंत्री, प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संगठन को विस्तार ही नहीं दिया. बल्कि आदर्शों की धुरी पर संगठन को केंद्रित रखा। उन्हें भाजपा का ‘संयम का स्तंभ’ कहा जाता है—वह नेता जो न कभी अनावश्यक विवादों में पड़ता है, न मीडिया की हेडलाइन में आने की कोशिश करता है। भाजपा संगठन के लिए वह एक ऐसे नेता और कार्यकर्ता हैं. जो संगठन के अनुसार पूर्ण समर्पण भाव से दिन हो या रात अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर रहते हैं. तोमर हमेशा पार्टी और आम नागरिकों के लिए पहली कतार में खड़े नजर आते हैं। आज की राजनीति में जहाँ तेज़ आवाज़, तीखे ट्वीट और आरोप प्रत्यारोप में उलझती जा रही है, वहीं नरेंद्र सिंह तोमर सभी राजनीतिक दलों और सभी लोगों के बीच में हंसमुख और मिलनसार तथा नैतिकता के साथ राजनीति करते हुए अपने व्यक्तिगत संबंधों को भी हमेशा बेहतर से बेहतर बनाए रखने की जो कोशिश करते हैं.वह हमें याद दिलाते हैं, कि राजनीति की असली ताकत —संयम, संवाद और संवेदनशीलता है । वह किसी बात से सहमत नहीं होते हैं और विरोध करते है. ऐसी स्थिति में सामने वाले के सम्मान का भी ध्यान रखते हैं । वह नेतृत्व करते हैं—पर नम्रता के साथ। वे रणनीति बनाते हैं—पर शोर-शराबे से दूर रहकर। उनका जीवन धैर्य, दृष्टि और गरिमा का प्रतीक है जो उन्हें राजनीति एवं समाज सेवा में श्रेष्ठ बनाता है। सत्ता के शिखर पर पहुँचकर भी आम नागरिकों और संगठन के छोटे-छोटे से कार्यकर्ता के संपर्क में बने रहना, यही नरेंद्र सिंह तोमर की सबसे बड़ी सफलता और राजनीति की ताकत है। सोहिल जैन,ईएमएस, 11 जून, 2025