-वारिस नहीं होने से 42 प्रतिशत व्यवसाय हुआ बंद बर्लिन,(ईएमएस)। जिसे दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है, आज वही जर्मनी अपने पारंपरिक व्यवसाय मॉडल के सामने आए गंभीर संकट का सामना कर रहा है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 42प्रतिशत पारंपरिक पारिवारिक व्यवसाय (फैमिली बिजनेस) अब तक बंद हो चुके हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि इन कारोबारों को आगे बढ़ाने के लिए अब परिवारों में कोई वारिस तैयार नहीं है। पिछले कुछ दशकों में जर्मनी में छोटे और मझोले स्तर के पारिवारिक कारोबारों ने देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाई है। ये बिजनेस पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आए हैं और स्थानीय स्तर पर रोजगार और स्थायित्व का आधार बने रहे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। युवा पीढ़ी की सोच में बदलाव रिपोर्ट बताती है कि अब जर्मनी की युवा पीढ़ी पारंपरिक बिजनेस को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं ले रही है। वे अधिकतर कॉर्पोरेट नौकरियों, स्टार्टअप्स, या विदेश में करियर बनाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके अलावा, बिजनेस चलाने की जिम्मेदारियों, जोखिम और बढ़ती प्रतिस्पर्धा से भी वे बचना चाहते हैं। बिजनेस घरानों में उम्रदराज मालिक परेशान कई ऐसे पारंपरिक व्यवसाय हैं, जिनके मालिक अब 60 या 70 साल के पार हो चुके हैं। उनके पास कारोबार को आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं बचा है। मजबूरी में वे अपने वर्षों पुराने व्यवसाय को बंद कर रहे हैं, जिससे भावनात्मक और आर्थिक दोनों स्तरों पर भारी नुकसान हो रहा है। इन व्यवसायों के बंद होने से स्थानीय स्तर पर नौकरियों की कमी, टैक्स में गिरावट, और उद्योगिक संरचना में असंतुलन देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो जर्मनी की आर्थिक स्थिरता पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए बिजनेस सक्सेशन स्कीम लाने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत ऐसे कारोबारों को नए मैनेजर, साझेदार या इन्वेस्टर के साथ जोड़ने की कोशिश की जाएगी। जर्मनी में पारिवारिक बिजनेस की यह चुनौती केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का संकेत भी है। अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह संकट और गहरा हो सकता है। तमन्ना रिज़वी/ईएमएस 13जून25