नई दिल्ली,(ईएमएस)। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने ईरान-इजरायल जंग के बीच भारत सरकार की चुप्पी को न केवल एक कूटनीतिक चूक, बल्कि भारत की नैतिक और रणनीतिक परंपराओं से विपरीत करार दिया है। एक लेख में सोनिया गांधी ने इजरायल द्वारा ईरानी सैन्य ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों को अवैध और संप्रभुता का उल्लंघन बताया। सोनिया गांधी ने कहा, कांग्रेस ने इन बमबारी और टारगेट किलिंग की निंदा की है, जो ईरानी जमीन पर हुई है। ये कार्य न केवल नागरिकों के जीवन के लिए घातक हैं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक अस्थिरता को भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने इजरायल की गाजा में चल रही सैन्य कार्रवाई को भी क्रूर और असंतुलित बताकर आलोचना की। सोनिया गांधी ने भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाकर कहा, भारत की चुप्पी केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक नैतिक विफलता है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से ईरान और इजरायल दोनों से गहरे संबंध बनाए हैं। ईरान ने 1994 में यूएन में कश्मीर मुद्दे पर भारत के समर्थन में अहम भूमिका निभाई थी। इसके विपरीत वर्तमान में मोदी सरकार ने दो-राष्ट्र समाधान के भारत के लंबे समय से चले आ रहे समर्थन से हटकर, एकतरफा रुख अपनाया है। सोनिया गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना कर कहा कि वे अपनी खुफिया एजेंसियों की राय को नजरअंदाज कर एक आक्रामक रुख अपना रहे हैं। उन्होंने कहा, ट्रंप खुद एंडलेस वॉर के खिलाफ थे, लेकिन अब वहीं 2003 की इराक जैसी गलतियां दोहरा रहे हैं। सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा कि इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने न केवल इस क्षेत्र में संघर्ष को बढ़ावा दिया, बल्कि अतीत में उन्होंने शांति प्रयासों को भी बाधित किया। उन्होंने 1995 में तत्कालीन पीएम राबिन की हत्या का हवाला दिया। सोनिया गांधी ने लिखा, गाजा आज भुखमरी के कगार पर है। 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं। पूरे परिवार, अस्पताल और मोहल्ले मिटा दिए गए हैं। लेख के अंत में उन्होंने भारत सरकार से अपील करते हुए लिखा, भारत को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। सोनिया गांधी के बयान से कुछ घंटे पहले ही भारत में ईरानी उप मिशन प्रमुख मोहम्मद जवाद होसेनी ने भी इजरायल के हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताकर भारत से इसकी निंदा की अपील की थी। आशीष दुबे / 21 जून 2025