21-Jun-2025
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-चुनाव आयोग कह चुका है 45 दिनों में ही मिटाए जा सकेंगे सबूत नई दिल्ली,(ईएमएस)। चुनाव आयोग ने शनिवार को साफ किया था कि मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग या सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करना न तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप है, न सर्वोच्च न्यायालय की गाइडलाइनों के। अत: ऐसे सबूतों को अब 45 दिनों में समाप्त किया जा सकेगा। इस पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि जिनसे जवाब चाहिए वही अब सबूत मिटा रहे हैं। मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग या सीसीटीवी फुटेज को लेकर चुनाव आयोग का तर्क है कि रिकॉर्डिंग जारी करने से यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि किस मतदाता ने किसे वोट दिया या नहीं दिया, जिससे दबाव, भेदभाव और धमकी की आशंका बढ़ सकती है। आयोग का यह बयान उस मांग के जवाब में आया है, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कथित धांधली के आरोप लगाते हुए सीसीटीवी फुटेज साझा करने की बात कही थी। इस पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार दोपहर सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए कहा, कि वोटर लिस्ट? मशीन रीडेबल फॉर्मेट नहीं देंगे। सीसीटीवी फुटेज? कानून बदलकर छिपा दी। चुनाव की फोटो वीडियो? अब 1 साल नहीं, 45 दिन में ही मिटा देंगे… जिससे जवाब चाहिए था, वही सबूत मिटा रहा है। कांग्रेस ने आयोग के ताज़ा नियम को “लोकतंत्र के खिलाफ” बताते हुए तुरंत वापस लेने की माँग की है। यहां बताते चलें कि चुनाव आयोग ने 30 मई को सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया था, कि यदि किसी चुनाव परिणाम को 45 दिन में अदालत में चुनौती नहीं दी जाती, तो सीसीटीवी, वेबकास्ट तथा अन्य विजुअल रिकॉर्डिंग नष्ट कर दी जाएं। पहले यह समय सीमा एक वर्ष की थी। चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि गोपनीय वोटिंग लोकतंत्र की रीढ़ है। वहीं कांग्रेस सहित विपक्षी दल चुनाव आयोग के नियम पर पुनर्विचार की माँग कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है। दूसरी ओर, आयोग ने संकेत दिया है कि नियमों में बदलाव मतदाता सुरक्षा और डेटा दुरुपयोग रोकने के उद्देश्य से किए गए हैं और फिलहाल इन्हें वापस लेने की कोई योजना नहीं है। हिदायत/ईएमएस 21जून25