नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने घोषणा की है कि वर्ष 2026 में देश का पहला व्यापक घरेलू आय सर्वेक्षण आयोजित किया जाएगा। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण के तहत किया जाएगा और इसका उद्देश्य देश में आय वितरण को समझना और पिछले 75 वर्षों में हुए आर्थिक बदलावों के प्रभावों का आकलन करना है। 1950 में शुरू हुए राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण ने अब तक उपभोग, बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे कई विषयों पर विश्वसनीय सर्वेक्षण किए हैं, लेकिन आज तक पूरे भारत में घरेलू आय पर केंद्रित कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ। 1950 के दशक में 9वें और 14वें राउंड तथा 1960-70 के दशक में 19वें और 24वें राउंड में कुछ प्रयास हुए, पर वे विश्वसनीय आंकड़े नहीं दे पाए। मुख्य समस्या यह रही कि लोगों ने अपनी आय कम बताई, जिससे आंकड़ों में उपभोग और बचत के मुकाबले अंतर आ गया। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय अब इस लंबे समय से चली आ रही समस्या को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह नया सर्वेक्षण भारत की सांख्यिकीय प्रणाली को और मजबूत करने की एक बड़ी पहल का हिस्सा है। हाल के वर्षों में मंत्रालय ने असंगठित क्षेत्र, निजी पूंजी निवेश, और घरेलू पर्यटन जैसे विषयों पर भी वार्षिक सर्वेक्षण शुरू किए हैं। इस सर्वेक्षण को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सरकार ने एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। इस समूह के अध्यक्ष डॉ. सुरजीत एस. भल्ला होंगे जो पहले भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं। यह समूह सर्वेक्षण की रूपरेखा, पद्धति, सैंपल डिजाइन और आकलन तकनीकों पर काम करेगा। यह अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों को अपनाएगा। इसके अलावा, यह समूह डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल कर वेतन और आय से जुड़ी जानकारी को सटीक रूप से मापने की दिशा में भी काम करेगा। सुबोध\२३\०६\२०२५
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