पटना (ईएमएस)। बिहार की नीतीश सरकार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कोटे से मंत्री जिवेश कुमार उर्फ जीवेश मिश्रा नकली दवा मामले में दोषी करार दिए गए है। अब विपक्ष ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलकर मिश्रा का इस्तीफा मांगा है। राजस्थान की राजसमंद कोर्ट ने उन्हें 15 साल पुराने मामले में बीते महीने दोषी करार दिया था। हालांकि, बाद में 7000 रुपये का जुर्माना भरवाकर सदाचार बनाए रखने की शर्त पर छोड़ दिया गया। बिहार के नगर विकास मंत्री मिश्रा के इस्तीफे की मांग कर कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने कहा कि भाजपा को भी इन्हें तुरंत पार्टी से बाहर करना चाहिए। इनके नकली दवाओं के नेटवर्क और कनेक्शन की जांच होनी चाहिए। पूर्णिया से सासंद पप्पू यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की। सासंद पप्पू ने आरोप लगाया कि मंत्री नकली दवा माफिया हैं। वे नकली दवाएं बेचकर आम लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं। बिहार के साथ कितना कुकर्म कर रहे थे। उन्होंने दरभंगा जिले के जाले की जनता से आगामी चुनाव में मिश्रा को सबक सिखाने की अपील की। मिश्रा जाले से विधायक हैं। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने भी नीतीश सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह लाचार, अचेत और समझौता परस्त मुख्यमंत्री की सुशासन सरकार है। जहां नकली दवा का कारोबारी भी मंत्री की कुर्सी पर विराजमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार में अनैतिक कामों में लिप्त लोगों का जमावड़ा है। नीतीश को कुर्सी से चिपके रहने की आदत है, इसलिए वे दोषी सिद्ध हो चुके मंत्री को कैबिनेट से बाहर करने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे है। रिपोर्ट्स के अनुसार यह मामला सितंबर 2010 का है। राजस्थान के देवगढ़ (राजसमंद) में स्थित कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स कंपनी में निरीक्षण के दौरान दवाओं के सैंपल लिए थे। इन्हें जांच के लिए लैब में भेजा गया, तब सिप्रोलिन-500 टेबलेट के मिलावटी और अमानक श्रेणी का पाया गया। जांच में सामने आया कि कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स को इन दवाओं की सप्लाई ऑल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी सहित दो अन्य फर्मों ने की थी। मिश्रा इस कंपनी के निदेशक हैं। इस मामले में राजसमंद कोर्ट ने 4 जून 2025 को मिश्रा सहित 9 आरोपियों को दोषी करार दिया था। 1 जुलाई को सजा पर फैसला सुनाया गया। इस दिन मिश्रा भी अदालत में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें राहत देकर अर्थदंड लगाकर और अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के तहत सदाचार बनाए रखने की शर्त पर छोड़ दिया। आशीष दुबे / 04 जुलाई 2025