रायपुर,(ईएमएस)। छत्तीसगढ़ से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां पिछले 115 दिनों में, 30 महिलाओं की उनके पतियों ने हत्या कर दी है। इसका मतलब है कि हर चार दिन में एक हत्या हो रही है। विडंबना यह है कि सोशल मीडिया पर पत्नियों को हत्यारा कहा जा रहा है।छत्तीसगढ़ पुलिस के रिकॉर्ड एक अलग ही कहानी बताते हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि वहां कितनी भयावह स्थिति है। धमतरी में एक युवा जोड़े की शादी को सिर्फ तीन महीने हुए थे। 7 जून को पति ने अपनी पत्नी के साथ एक फोटो पोस्ट की और प्यार जताया। तीन दिन बाद, उसने दरांती से उसकी गला रेत कर हत्या कर दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, आरोपी पति धनेश्वर पटेल ने अपनी पत्नी पर चरित्र को लेकर शक होने पर उसकी हत्या करने की बात कबूल की है। एक और मामला बालोद का है। 22 मार्च को एक सड़क दुर्घटना हुई थी। एक स्कूल टीचर की मौके पर ही मौत हो गई लेकिन जांच में पता चला कि उसके पति शीशपाल और उसके दोस्त ने मिलकर हत्या की थी और उसे दुर्घटना का रूप दिया था। एक पुलिस अधिकारी योगेश पटेल ने बताया, आरोपी के एक परिचित कयामुद्दीन ने पूछताछ में बताया कि हत्या की योजना पहले से बनाई गई थी। छत्तीसगढ़ में पत्नियों की हत्या के 30 मामलों में से 10 से ज्यादा शक या जलन की वजह से हुए। 6 मामले नशे में हुए। दो मामले यौन संबंध बनाने से इनकार करने पर हुए। बाकी मामले घरेलू हिंसा, दहेज विवाद या वैवाहिक तनाव के कारण हुए। एक समाजशास्त्री प्रोफेसर सोशल मीडिया पर चल रही गलत बातों की आलोचना करते हैं। उन्होंने कहा, यह गुस्सा पितृसत्तात्मक समाज की वजह से है। पुरुषों ने हजारों हत्याएं की हैं, लेकिन अगर कोई महिला ऐसा करती है, तो पूरे जेंडर को दोषी ठहराया जाता है। हत्या तो हत्या होती है। जेंडर से इसकी गंभीरता नहीं बदलनी चाहिए। कुछ सनसनीखेज मामलों के आधार पर महिलाओं को लेबल करना हमारी पुरुष-प्रधान मानसिकता को दर्शाता है। पत्नियों को ट्रोल करना न केवल गलत है, बल्कि खतरनाक भी है। वीरेंद्र/ईएमएस/24जून2025