राष्ट्रीय
24-Jun-2025
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-50 सांसदों के महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर की हुई पुष्टि नई दिल्ली,(ईएमएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ पिछले साल विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए विवादित बयानों के कारण 54 राज्यसभा सांसदों द्वारा दायर महाभियोग प्रस्ताव अभी भी लंबित है। अब तक कम से कम 50 सांसदों ने इस नोटिस पर हस्ताक्षर करने की पुष्टि की है, जो महाभियोग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त संख्या है। महाभियोग का यह नोटिस पिछले साल 13 दिसंबर को विपक्षी दलों के 54 सांसदों ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को सौंपा था। राज्यसभा सचिवालय की ओर से मार्च और मई में भेजे गए ईमेल और फोन कॉल्स के जरिए हस्ताक्षर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें अब तक 44 सांसदों ने अपने हस्ताक्षर की पुष्टि की है। बाकी बचे 10 सांसदों में से छह ने बताया कि उन्होंने भी नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। इस लिहाज से अभी तक कम से कम 50 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। राज्यसभा सचिवालय ने इस पूरे नोटिस में 9 सांसदों के हस्ताक्षरों में रिकॉर्ड से मेल न खाने की बात कही थी और एक सांसद सरफराज अहमद के हस्ताक्षर दो जगह होने की वजह से हस्ताक्षरों की दोबारा पुष्टि करने का फैसला लिया गया था। सचिवालय ने सांसदों को मार्च 7, 13 और मई 1 को ईमेल भेजे थे, जिसमें कहा गया था कि वे सभापति से मिलें और रिपोर्ट, कानूनी दस्तावेज, यूट्यूब लिंक आदि जो उन्होंने नोटिस के साथ संलग्न किए हैं, उनकी प्रमाणित प्रतियां साथ लाएं। 8 दिसंबर 2024 को प्रयागराज में वीएचपी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने विवादास्पद टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा था कि मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि यह हिंदुस्तान है...और देश बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के अनुसार ही चलेगा। इसके अलावा उन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कठमुल्ला जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हुए मुस्लिम समुदाय की आलोचना की और कहा कि अगर हमारी परंपराओं में सती, जौहर, कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराइयों को खत्म किया है, तो तीन शादी की प्रथा भी खत्म होनी चाहिए। इन बयानों को विपक्षी दलों और नागरिक समाज ने घृणा भाषण और संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन बताया था। 13 दिसंबर 2024 को, वरिष्ठ अधिवक्ता और स्वतंत्र राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के नेतृत्व में 54 सांसदों ने राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को महाभियोग का नोटिस सौंपा था। संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत न्यायाधीश को हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अब तक इस नोटिस को खारिज नहीं किया है क्योंकि 1968 वाले एक्ट में कोई तय समयसीमा नहीं है। उन्होंने फरवरी में सदन में कहा था कि यह विषय केवल राज्यसभा के सभापति, संसद और राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में है। 13 फरवरी 2025 को सदन में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि उन्हें जस्टिस यादव को हटाने के लिए 55 हस्ताक्षर प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस मामले का संवैधानिक दायित्व पूरी तरह से राज्यसभा सभापति, संसद, और अंततः राष्ट्रपति के पास है। धनखड़ ने कहा कि यदि हस्ताक्षरों की संख्या 50 से ज्यादा होती है, तो वह उचित कार्रवाई करेंगे। सिराज/ईएमएस 24जून25