लंदन (ईएमएस)। अगर कोई व्यक्ति रोजाना अपने खाने में सिर्फ आधा चम्मच ऑलिव ऑयल शामिल करता है, तो उसमें भूलने की बीमारी यानी डिमेंशिया होने का खतरा करीब 28 फीसदी तक कम हो सकता है। यह दावा किया गया है एक ताजा शोध में। यह शोध ऐसे समय में आया है जब तनाव, खराब जीवनशैली और असंतुलित आहार के कारण मानसिक बीमारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिन लोगों की डाइट में ऑलिव ऑयल शामिल था, उनकी याददाश्त बेहतर थी और उम्र बढ़ने के बावजूद उनका मानसिक संतुलन बना रहा। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऑलिव ऑयल में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और हेल्दी फैट्स दिमाग की कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं। साथ ही इसमें ओलेकांथाल नामक एक खास तत्व पाया जाता है जो शरीर में सूजन को कम करता है और न्यूरॉन्स को स्वस्थ बनाए रखता है। न्यूरॉन्स हमारे सोचने-समझने और याद रखने की क्षमता से सीधे जुड़े होते हैं। जब ये कोशिकाएं अच्छी स्थिति में होती हैं, तो इंसान की याददाश्त तेज बनी रहती है और उम्र के साथ दिमागी संतुलन भी बना रहता है। इसलिए जिन लोगों के रोजाना भोजन में ऑलिव ऑयल शामिल होता है, उन्हें बुढ़ापे में भी मानसिक रूप से सक्रिय पाया गया। ऑलिव ऑयल को अपने रोजमर्रा के खाने में शामिल करना बेहद आसान है। इसे सलाद पर कच्चे रूप में डाला जा सकता है या हल्की आंच पर सब्जियां भूनने में इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ लोग सुबह खाली पेट एक चम्मच ऑलिव ऑयल का सेवन भी करते हैं। हालांकि ध्यान रखने की बात यह है कि ऑलिव ऑयल को तेज़ आंच पर नहीं पकाना चाहिए क्योंकि ज्यादा तापमान पर इसके पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं। एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल को सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा प्राकृतिक तत्व मौजूद होते हैं जो सेहत के लिए लाभकारी हैं। सिर्फ ऑलिव ऑयल ही नहीं, बल्कि एक समग्र जीवनशैली अपनाना भी दिमागी सेहत के लिए जरूरी है। नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, तनाव से दूर रहना, जंक फूड से परहेज और दिमागी गतिविधियां जैसे किताब पढ़ना या पज़ल हल करना भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि दिमाग भी शरीर की तरह देखभाल चाहता है और इस देखभाल में सही खानपान सबसे अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में रिफाइंड या ट्रांस फैट वाले तेलों की बजाय ऑलिव ऑयल को अपनाना एक बेहतर और समझदारी भरा विकल्प हो सकता है। बता दें कि आज के समय में लोग अपनी सेहत को लेकर पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं और खानपान को लेकर जागरूकता भी बढ़ी है। इसी कड़ी में एक नई रिसर्च ने ऑलिव ऑयल यानी जैतून के तेल को लेकर अहम जानकारी दी है। सुदामा/ईएमएस 26 जून 2025