राष्ट्रीय
27-Jun-2025
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-यह पर्यावरण के लिए भी होता है सुरक्षित नई दिल्ली,(ईएमएस)। अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले यानों के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ों में ऊर्जा का स्रोत होता है। आमतौर पर रॉकेट और अंतरिक्ष यानों में ईंधन के रूप में तरल हाइड्रोजन (एलएच-2) और तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) का उपयोग किया जाता है। इन दोनों को मिलाकर जब जलाया जाता है, तो यह अत्याधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है जो रॉकेट को ज़मीन से ऊपर अंतरिक्ष की ओर ले जाने में मददगार साबित होता है। यहां बताते चलें कि इस ईंधन का उपयोग केवल रॉकेट को लॉन्च करने के लिए नहीं होता, बल्कि अंतरिक्ष में दिशा बदलने, गति नियंत्रण, और कक्षा में यान को स्थापित करने के लिए भी किया जाता है। अंतरिक्ष यान में मुख्य ईंधन प्रकार- 1. तरल हाइड्रोजन + तरल ऑक्सीजन (एलएच-2 + एलओएक्स) यह अत्याधिक ऊर्जा देने वाला संयोजन होता है जो कि जलने के बाद सिर्फ पानी बनता है और यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होता है। इसे बहुत कम तापमान में भंडारण करना आवश्यक होता है। जैसे कि एलएच-2 को -253 अंश सेंटीग्रेट पर रखा जाता है। 2. ठोस प्रणोदक (सॉलिड प्रॉपेलेन्ट्स) यह पाउडर की तरह एक मिश्रण होता है, जो कि एक बार जलने पर बहुत तीव्र बल उत्पन्न करता है। साधारण सैटेलाइट लॉन्चर और रक्षा मिसाइलों में यह उपयोगी सिद्ध होता है। 3. अन्य तरल प्रणोदक जैसे केरोसिन (आरपी-1), हाइड्राज़ीन, अल्कोहल इत्यादि। कुछ प्रणालियों में लागत या स्थायित्व के कारण इनका उपयोग किया जाता है। ईंधन का भंडारण और नियंत्रण तरल ईंधन को बेहद कम तापमान पर संग्रहित किया जाता है। अत्यधिक इन्सुलेशन और कूलिंग सिस्टम का उपयोग होता है। ईंधन को ठंडा रखने में ग्लाइकॉल जैसे कूलेंट का सहारा लिया जाता है। ईंधन सेल का उपयोग अंतरिक्ष यान की बिजली जैसी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ईंधन सेल का प्रयोग होता है। इसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली पैदा होती है। यह बिजली यान की नेविगेशन, संचार और अन्य प्रणालियों को चलाने के काम आती है। अंतरिक्ष मिशनों की सफलता का एक बड़ा हिस्सा सही ईंधन प्रणाली पर निर्भर होता है। तरल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की जोड़ी इस मामले में बेहद प्रभावी और भरोसेमंद मानी जाती है। इसके अलावा ईंधन के भंडारण और उपयोग की जटिल तकनीकों का सही संयोजन ही एक यान को सफलतापूर्वक पृथ्वी से बाहर ले जाने में सक्षम बनाता है। इसलिए ईंधन का चुनाव और उसका पर्याप्त मात्रा में उपयोग बेहद सावधानी से किया जाता है। हिदायत/ईएमएस 27 जून 2025