ओस्लो (ईएमएस)। एक अद्भुत खगोलीय घटना नॉर्वे के स्वालबार्ड द्वीपसमूह को पूरी दुनिया से अलग बनाती है। स्वालबार्ड द्वीपसमूह पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच का अंतर केवल 40 मिनट का होता है। यह अद्भुत दृश्य ढाई महीने तक लगातार बना रहता है, जब सूरज रात में भी क्षितिज के ऊपर बना रहता है।आधी रात का सूरज देखना जीवन में एक बार का अनुभव है, जो स्वालबार्ड को दुनिया की सबसे खास जगहों में से एक बनाता है। इसी वजह से इस क्षेत्र को कंट्री ऑफ मिडनाइट सन यानी आधी रात का सूरज कहा जाता है। यह चमत्कारी नजारा हर साल मई से जुलाई तक देखने को मिलता है। करीब 76 दिनों तक स्वालबार्ड में सूरज अस्त नहीं होता। इस दौरान यहां के लोग और पर्यटक रात के समय भी दिन जैसा उजाला महसूस करते हैं। लोग आधी रात में बाहर घूमते हैं, फोटो खींचते हैं और पिकनिक का आनंद लेते हैं। इस घटना के पीछे का वैज्ञानिक कारण पृथ्वी का झुकाव है। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, जिसकी वजह से विभिन्न स्थानों पर दिन और रात की लंबाई में अंतर आता है। जब पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है, उस समय आर्कटिक सर्कल के भीतर स्थित स्वालबार्ड जैसे इलाकों में सूरज लगातार चमकता रहता है। भारत जैसे देशों में भी दिन और रात की लंबाई में अंतर होता है, लेकिन वह उतना स्पष्ट नहीं होता। उदाहरण के लिए, भारत में 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन होता है और 22 दिसंबर को सबसे लंबी रात। इसका कारण यह है कि भारत भूमध्य रेखा के पास स्थित है, जबकि स्वालबार्ड आर्कटिक सर्कल के निकट है, जहां झुकाव का प्रभाव अधिक दिखाई देता है। स्वालबार्ड की यह अद्भुत घटना वैज्ञानिकों और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह अनुभव केवल प्रकृति का एक दृश्य नहीं, बल्कि पृथ्वी की खगोलीय गति और ब्रह्मांडीय संतुलन की गहराई को समझने का अवसर भी है। सुदामा/ईएमएस 28 जून 2025