28-Jun-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। विज्ञान की दुनिया में इनसे कहीं आगे की एक ऐसी खोज हुई है, जिसने मेडिकल साइंस को चौंका दिया है। एक ऐसा ब्लड ग्रुप जो पूरी धरती पर सिर्फ एक इंसान में पाया गया है। इसे नाम दिया गया है ‘ग्वाडा नेगेटिव’। इस खोज को जून 2025 में मिलान में हुए आईएसबीटी सम्मेलन में आधिकारिक मान्यता मिली।ग्वाडा नेगेटिव का मतलब है कि उस महिला के खून में ईएमएम एंटीजन पूरी तरह से गायब है। यह बेहद दुर्लभ स्थिति है क्योंकि ईएमएम एक हाई-इंसीडेंस एंटीजन है जो लगभग सभी इंसानों में पाया जाता है। इसका न होना, उस व्यक्ति को मेडिकल दृष्टि से एकमात्र बना देता है। ईएफएस के प्रमुख बायोलॉजिस्ट थियरी पेयरार्ड के अनुसार, इस महिला को यह ब्लड ग्रुप पैतृक और मातृ दोनों ओर से म्यूटेटेड जीन मिलने के कारण मिला। पेयरार्ड ने बताया कि ‘यह महिला सिर्फ खुद के खून से ही संगत है’, यानी दुनिया में आज कोई भी दूसरा डोनर उसे ब्लड नहीं दे सकता। ग्वाडा नेगेटिव कोई आम ब्लड ग्रुप नहीं। यह दुनिया का 48वां आधिकारिक ब्लड ग्रुप सिस्टम है, जिसे जून 2025 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (आईएसबीटी) ने मान्यता दी है। इस ब्लड ग्रुप की खोज फ्रेंच ब्लड एस्टैब्लिशमेंट (ईएफएस) ने की थी, और यह ब्लड ग्रुप फिलहाल सिर्फ ग्वाडेलूप की एक 68 वर्षीय महिला में ही पाया गया है। इस ब्लड ग्रुप को ईएमएम नेगेटिव सिस्टम के रूप में क्लासिफाई किया गया है। ईएमएम वह एंटीजन है जो आमतौर पर लगभग हर व्यक्ति के रेड ब्लड सेल्स पर पाया जाता है। लेकिन इस महिला में इसकी पूरी तरह से गैर-मौजूदगी ने मेडिकल साइंस को हैरान कर दिया। इस रहस्यमयी ब्लड ग्रुप की कहानी 2011 में शुरू होती है, जब ग्वाडेलूप मूल की एक महिला, जो पेरिस में रहती थी, की एक सामान्य सर्जरी से पहले ब्लड टेस्ट किया गया। उस दौरान वैज्ञानिकों को उसमें एक ऐसा एंटीबॉडी मिला, जो किसी भी ज्ञात ब्लड ग्रुप सिस्टम से मेल नहीं खाता था। उस समय, तकनीकी संसाधन इतने उन्नत नहीं थे कि इस अजीब रक्त प्रकार की पहचान की जा सके। लेकिन 2019 में, नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग तकनीक की मदद से वैज्ञानिकों ने इस महिला के पुराने सैंपल की दोबारा जांच की और आखिरकार इस अनोखे ब्लड ग्रुप का रहस्य सुलझाया। वीरेंद्र/ईएमएस 28 जून 2025