नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत की न्यायपालिका ने तकनीकी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ऑनलाइन सुनवाई और डिजिटल फैसलों की व्यवस्था को औपचारिक रूप से लागू करने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था उच्चतम न्यायालय से लेकर जिला अदालतों तक लागू होगी। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद न्यायिक प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाया जा सकेगा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, यह पहल ‘ई-कोर्ट परियोजना’ के तीसरे चरण का हिस्सा है।जिसमें ई-फाइलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन फैसलों की सार्वजनिक उपलब्धता होगी। सुप्रीम कोर्ट पहले ही वर्चुअल सुनवाई में अग्रणी है। अब इसे स्थायी व्यवस्था के रूप में जिला न्यायालयों और हाईकोर्ट मे लागू किया जाएगा। यह सुविधा उन लोगों के लिए उपयोगी साबित होगी। जो दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं। जो कोर्ट आने में असमर्थ होते हैं। इससे सुनवाई में देरी होने के कारण न्याय मिलने में देरी होती है।उसमें उल्लेखनीय कमी आयेगी। भारत की अदालतों में अभी तक 25 करोड़ से अधिक केस ई-फाइलिंग के तहत पंजीकृत किए जा चुके हैं। 3 करोड़ से ज्यादा फैसले डिजिटली जारी किए जा चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव को सफल बनाने के लिए तकनीकी अधो- संरचना को मजबूत करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में, वकीलों, न्यायाधीशों और जनता को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना सबसे बड़ी आवश्यकता है। जो ऑनलाइन डिजिटल न्यायिक व्यवस्था के सफलता की कुंजी होगी। भारत की न्याय प्रणाली मैं यह बदलाव एक नए युग में ले जाने की शुरुआत है। जहाँ तकनीक और न्याय व्यवस्था मिलकर एक सशक्त लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाने का काम करेगी। एसजे / 29 जून 25