गुना (ईएमएस)। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से लागू की गई हमारे शिक्षक मोबाइल एप्लीकेशन पर आधारित ई-अटेंडेंस प्रणाली अपने पहले ही दिन तकनीकी अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ती नजर आई। जिले के उत्कृष्ट विद्यालय समेत कई शालाओं में शिक्षक नई व्यवस्था के तहत उपस्थिति दर्ज कराने में मशक्कत करते देखे गए, लेकिन बार-बार सर्वर डाउन और लॉगिन समस्याओं ने इस नवाचार को शुरूआत में ही सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। शिक्षकों ने सुबह तय समय पर शाला पहुंचकर अपने मोबाइल फोन के माध्यम से ई-अटेंडेंस दर्ज करने का प्रयास किया, लेकिन अधिकांश को ‘सर्वर रिस्पॉन्ड नहीं कर रहा’, ‘आईडी-पासवर्ड इनवैलिड’ या ‘पेज नॉट अवेलेबल’ जैसे संदेश दिखाई दिए। शिक्षकों के मुताबिक, किसी ने हमारे शिक्षक ऐप के माध्यम से प्रयास किया तो किसी ने वैकल्पिक पोर्टल एमपी 3.0 के जरिए लॉगिन करने की कोशिश की, लेकिन नतीजा वही रहा—सिर्फ इंतज़ार और निराशा। उत्कृष्ट विद्यालय गुना में तो स्थिति और भी गंभीर रही। यहां करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद केवल चार शिक्षकों की ही ई-अटेंडेंस दर्ज हो सकी। बाकी शिक्षकों ने मजबूरी में परंपरागत तरीके से उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर किए और अपनी उपस्थिति के प्रमाणस्वरूप विद्यालय परिसर के सामने खड़े होकर फोटो लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की। यह कदम उन्होंने प्रशासन को यह दिखाने के लिए उठाया कि वे निर्धारित समय पर विद्यालय में उपस्थित रहे, भले ही ऐप ने उनका समर्थन न किया हो। ज्ञात हो कि यह योजना शिक्षकों के भारी विरोध के बीच शुरू की गई थी। शिक्षकों का मानना है कि नई तकनीक को लागू करने से पहले उसका सफल ट्रायल आवश्यक होता है, जिससे फील्ड लेवल पर आने वाली समस्याओं का पूर्व अनुमान लगाया जा सके। एक शिक्षक ने बताया कि उन्होंने नियमों के अनुरूप पहले ही अपनी आईडी ‘एमपी 3.0’ पोर्टल पर रजिस्टर की थी, लेकिन लॉगिन करते समय बार-बार ‘इनवैलिड आईडी’ का संदेश मिला। स्कूल शिक्षा विभाग की यह डिजिटल पहल प्रशासनिक नियंत्रण और पारदर्शिता की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही थी, लेकिन पहले ही दिन की तकनीकी खामियों ने इसे सवालों के घेरे में ला दिया है। खासतौर पर ग्रामीण अंचलों के शिक्षक जहां नेटवर्क की उपलब्धता पहले से ही सीमित है, उनके लिए यह प्रणाली और भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग इस असफल शुरुआत से सबक लेकर तकनीकी सुधार करता है या फिर यह योजना केवल कागजों और घोषणाओं में ही दम तोड़ती नजर आएगी। फिलहाल शिक्षक समुदाय इस नई प्रणाली को लेकर असमंजस और असंतोष की स्थिति में है। यदि जल्द तकनीकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो यह प्रयास, सुधार के बजाय शिक्षकों के लिए एक और प्रशासनिक बोझ बनकर रह जाएगा।- सीताराम नाटानी (ईएमएस)