लंदन (ईएमएस)। माता-पिता के लिए टीनएज बच्चों से तालमेल बिठाना कई बार चुनौती बन जाता है। यह उम्र बच्चों के जीवन में बेहद अहम होती है। इस दौर में वे अपनी पहचान और आजादी की तलाश करते हैं। अगर माता-पिता हर बात पर रोक-टोक करते हैं या अपनी शर्तें थोपते हैं, तो बच्चे दूर होने लगते हैं और रिश्तों में खटास आ सकती है। इसलिए इस उम्र के बच्चों के साथ प्यार, समझदारी और धैर्य से पेश आना जरूरी है। टीनएज बच्चे डांट-फटकार से ज्यादा समझ और सहयोग चाहते हैं। उनकी बातें ध्यान से सुनें, बिना टोकाटाकी या आलोचना किए उन्हें अपनी बात कहने दें। जब आप उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करेंगे, तो वे भी आपकी बातों को गंभीरता से लेंगे। इससे आपके रिश्ते में भरोसा बढ़ेगा और वे अपनी बातें आपसे खुलकर शेयर करेंगे। इस उम्र में बच्चे अपनी आजादी का सम्मान चाहते हैं। उन्हें कुछ फैसले खुद लेने का मौका दें। जैसे कि क्या पहनना है, किस दोस्त से कब मिलना है या कौन सा विषय पढ़ना है। यह आजादी उन्हें जिम्मेदारी लेना भी सिखाएगी। अगर आप उनकी पसंद का सम्मान करेंगे, तो वे भी आपकी बात मानना सीखेंगे। बच्चों की छोटी-छोटी उपलब्धियों की तारीफ करना न भूलें। चाहे पढ़ाई में मेहनत हो, कोई नया हुनर सीखना हो या खेल-कूद में सफलता हो, उनकी कोशिशों की सराहना करें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे और अच्छा करने के लिए प्रेरित होंगे। तारीफ रिश्ते में सकारात्मकता भी लाती है। घर में नियम और अनुशासन जरूरी हैं, लेकिन इनमें लचीलापन होना चाहिए। नियम बनाते समय बच्चों की राय लें। इससे वे उन्हें खुशी से मानेंगे। अगर किसी स्थिति में नियम बदलने की जरूरत हो, तो खुलकर बातचीत करके हल निकालें। यह तरीका बच्चों को यह अहसास दिलाता है कि आप उनकी भावनाओं और जरूरतों को समझते हैं। सबसे जरूरी बात यह है कि हर बात पर टोकने से बचें। इससे बच्चे चिड़चिड़े और विद्रोही हो सकते हैं। जरूरी बात समझानी हो, तो दोस्त की तरह बातचीत करें। प्यार और समझदारी से की गई परवरिश ही उन्हें सही दिशा दिखाने में मदद करती है और आपके रिश्ते को मजबूत बनाती है। बच्चों की रुचियों को पहचानें और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें। चाहे वह क्रिकेट हो, गिटार बजाना हो या पेंटिंग, उनके शौक को सपोर्ट करें। इससे वे आपको दोस्त मानेंगे और आपसे खुलकर बातें करेंगे। सुदामा/ईएमएस 03 जुलाई 2025