04-Jul-2025


- महानगरों में कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी मुंबई, (ईएमएस)। महाराष्ट्र के अमरावती जिले के मेलघाट को कभी कुपोषित बच्चों का जिला कहा जाता था। हालांकि, हालिया आंकड़ों के अनुसार महानगरों में कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या चिंताजनक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 लाख 82 हजार 443 बच्चे कुपोषित हैं और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि कुपोषित बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या मुंबई उपनगरों में है, यह भी इन आंकड़ों से पता चला है। राज्य में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 1 लाख 51 हजार 643 और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या 30,800 है। पुणे में भी कुपोषित बच्चों की संख्या चिंताजनक है। ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में कुपोषण की संख्या में वृद्धि हुई है और मुंबई उपनगरों में 16 हजार 344 कुपोषित बच्चे हैं। इसमें से मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 13,457 और गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2887 है। राज्य में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 1 लाख 51 हजार 643 और गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 30,800 है। मुंबई उपनगरों के बाद नासिक जिले में कुपोषण की संख्या में वृद्धि हुई है। नासिक में 9 हजार 852 कुपोषित बच्चे हैं, जिनमें मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 8,944 और गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 1852 है। पुणे में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 7,410 है। जबकि ठाणे जिले में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 7,366 और गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 844 है। मुंबई की तुलना में पुणे में कुपोषित बच्चों की संख्या कम है। पुणे में मध्यम कुपोषित बच्चे 7,410 और गंभीर कुपोषित बच्चे 1666 हैं। सरकारी योजनाओं पर होने वाला खर्च विचारणीय है। धुले जिले में मध्यम कुपोषित बच्चे 6,377 और गंभीर कुपोषित बच्चे 1741 हैं। छत्रपति संभाजी नगर जिले में 6487 मध्यम कुपोषित बच्चे और 1439 गंभीर कुपोषित बच्चे हैं। नागपुर में 6,715 मध्यम कुपोषित बच्चे और 1373 गंभीर कुपोषित बच्चे हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि कुपोषण को कम करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और उन पर किए गए खर्च पर बड़ा सवालिया निशान है। स्वेता/संतोष झा- ०४ जुलाई/२०२५/ईएमएस