राष्ट्रीय
04-Jul-2025


- लार्वा मिलने पर 1 लाख 75 हजार रुपए का जुर्माना मुंबई, (ईएमएस)। बिस्किट के टिन में लार्वा मिलने से एक नामचीन बिस्किट कंपनी और दुकानदार को भारी नुकसान हुआ है। इस मामले में शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मुंबई उपभोक्ता फोरम ने बिस्किट कंपनी और विक्रेता को शिकायतकर्ता को 1.5 लाख रुपए मुआवजा और केस खर्च के तौर पर 25 हजार रुपए देने का निर्देश दिया है। * क्या है मामला ? 2019 में शिकायतकर्ता महिला ने चर्चगेट इलाके से एक बिस्किट का टिन खरीदा था। उसमें रखे बिस्किट खाने के बाद उसे उल्टी होने लगी। इस घटना के बाद उसने बिस्किट के टिन की जांच महानगरपालिका की प्रयोगशाला में कराई। इस दौरान बिस्किट में लार्वा होने की बात सामने आई। महिला ने फरवरी 2019 में संबंधित बिस्किट कंपनी और संबंधित दुकानदार को कानूनी नोटिस भेजकर जवाब मांगा। लेकिन बिस्किट कंपनी और दुकानदार द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने पर महिला ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। * कंपनी और विक्रेता ने आरोपों से किया इनकार उपभोक्ता फोरम की सुनवाई में मशहूर बिस्किट कंपनी और दुकानदार ने सभी आरोपों से इनकार किया। बिस्किट कंपनी ने दावा किया, हम अपने सभी उत्पादों के निर्माण में सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में बिस्किट का कवर या उत्पाद संख्या नहीं दी है। इसके अलावा हमें ऐसी कोई अन्य शिकायत नहीं मिली है। इसलिए इस आरोप में कोई सच्चाई नहीं है। दुकानदार ने भी दावा किया, मैं कंपनी का केवल सीलबंद उत्पाद ही बेचता हूं। इसलिए मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। * उपभोक्ता फोरम का फैसला लंबी सुनवाई के बाद हाल ही में मुंबई उपभोक्ता फोरम ने इस मामले में शिकायतकर्ता महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। फोरम ने कहा, खाद्य सुरक्षा नियम 2006 के अनुसार उपभोक्ता का दावा सही है। निर्माता और विक्रेता यह साबित नहीं कर पाए कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। शिकायतकर्ता ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए प्रयोगशाला से वैज्ञानिक रिपोर्ट पेश की है। इसमें साबित हो चुका है कि बिस्किट में लार्वा था। कंपनी और विक्रेता ने इन आरोपों से इनकार करते हुए ऐसा कोई सबूत नहीं दिया है। इसलिए शिकायतकर्ता मुआवजे की हकदार है। इस दौरान उसे काफी शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी है। इसलिए, कंपनी और विक्रेता को शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में 1.5 लाख रुपये और मुकदमा खर्च के रूप में 25 हजार रुपये का भुगतान करना चाहिए। स्वेता/संतोष झा- ०४ जुलाई/२०२५/ईएमएस