06-Jul-2025
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लंदन (ईएमएस)। समुद्र के खारे पानी में लगातार तैनात रहने वाली सबमरीन और वॉरशिप में जंग क्यों नहीं लगती। यह सवाल हमेशा लोगों के मन में आता है। असल में इसकी वजह बहुत ही सोच-समझकर अपनाई गई तकनीक और सामग्री है। सबमरीन को बेहद मजबूत और टिकाऊ बनाया जाता है क्योंकि ये लंबे समय तक पानी के अंदर रहकर बेहद उच्च दबाव और खारे पानी का सामना करती हैं। इनके निर्माण में हाई स्ट्रेंथ मिश्र धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है जो साधारण लोहे से कहीं ज्यादा मजबूत और जंगरोधी होती हैं। इसी तरह वॉरशिप को बनाने के लिए स्टील और एल्युमिनियम जैसे मटेरियल का उपयोग होता है जो समुद्री परिस्थितियों में भी टिके रहते हैं और जल्दी खराब नहीं होते। सिर्फ मजबूत धातु ही नहीं, बल्कि इन जहाजों और सबमरीन की सतह पर विशेष कोटिंग भी की जाती है। यह कोटिंग एक तरह की सुरक्षात्मक परत बनाती है जो धातु को पानी और ऑक्सीजन के सीधे संपर्क से बचाती है। चूंकि जंग बनने की प्रक्रिया में पानी और ऑक्सीजन की मौजूदगी जरूरी होती है, इस कोटिंग के कारण वह प्रक्रिया काफी धीमी या लगभग असंभव हो जाती है। यही कारण है कि ये जहाज और सबमरीन सालों तक समुद्र में रहकर भी जंग से बचे रहते हैं। इसके बावजूद, कहीं-कहीं हल्की जंग लगने की संभावना रहती है। इसलिए इन जहाजों और पनडुब्बियों की समय-समय पर बारीकी से जांच की जाती है। जिस हिस्से में जंग के शुरुआती संकेत मिलते हैं, वहां तुरंत मरम्मत की जाती है। इसके अलावा इनकी नियमित सफाई, डी-स्केलिंग और जंग अवरोधक केमिकल लगाने का काम भी किया जाता है। मिसाइलों के निर्माण में भी एल्युमिनियम, स्टील और टाइटेनियम जैसे धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो मजबूत होने के साथ जंग के खिलाफ भी बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं। समंदर में तैनात इन विशाल जहाजों और सबमरीन को सुरक्षित रखने के लिए सिर्फ मजबूत धातु ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक डिजाइन, सुरक्षात्मक कोटिंग और नियमित रखरखाव जैसी कई अहम बातें सुनिश्चित की जाती हैं। यही वजह है कि ये सालों तक समुद्र की खुरदुरी और खारी परिस्थितियों में भी बेखौफ तैनात रह पाती हैं और देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती हैं। हमने अक्सर देखा है कि अगर कोई लोहे की चीज़ पानी में पड़ी रह जाए, चाहे वह घर के पास का टंकी हो या फिर समंदर का किनारा, तो उसमें कुछ समय बाद जंग लग जाती है। यह जंग धीरे-धीरे धातु को इतना कमजोर कर देती है कि उसका इस्तेमाल मुश्किल हो जाता है। सुदामा/ईएमएस 06 जुलाई 2025