06-Jul-2025
...


वाशिंगटन (ईएमएस)। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मीठा खाने की क्रेविंग ज्यादा होती है। यह केवल स्वाद या आदत का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई जैविक, हार्मोनल और मानसिक कारण होते हैं। यह खुलासा किया है वैज्ञानिकों ने ताजा शोध में। महिलाओं के शरीर में हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में मेंस्ट्रुअल साइकिल, गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान लगातार बदलाव आते रहते हैं। ये हार्मोन मूड और भूख को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। खासतौर पर सेरोटोनिन नामक हार्मोन का स्तर जब कम होता है तो व्यक्ति उदास या चिड़चिड़ा महसूस करता है और इसी समय मीठा खाने की इच्छा बढ़ जाती है क्योंकि मीठा खाने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है और मूड बेहतर हो जाता है। यही वजह है कि तनाव या मूड खराब होने पर महिलाएं अक्सर मिठाई खाना पसंद करती हैं। रिसर्च बताती हैं कि तनाव के समय महिलाओं के शरीर में घ्रेलिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो भूख बढ़ाता है, जबकि लेप्टिन हार्मोन, जो भूख को नियंत्रित करता है, उसका स्तर कम हो जाता है। इन हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण महिलाओं में मीठा खाने की इच्छा और ज्यादा हो जाती है। इसके अलावा हमारे पेट में मौजूद गट माइक्रोबायोम यानी अच्छे बैक्टीरिया भी खाने की इच्छाओं को नियंत्रित करते हैं। महिलाओं के शरीर में पाए जाने वाले कुछ बैक्टीरिया हार्मोन एस्ट्रोजन को प्रभावित करते हैं। पीरियड्स के दौरान इन बैक्टीरिया के स्तर में भी बदलाव होता है, जिससे मीठा खाने की इच्छा और बढ़ सकती है। इसी तरह, पीरियड्स से कुछ दिन पहले शरीर को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है क्योंकि यह समय शरीर की संभावित प्रेग्नेंसी की तैयारी का होता है। इस दौरान महिलाएं ज्यादा कैलोरी और मीठा खाना चाहती हैं क्योंकि यह तुरंत ऊर्जा देता है। दूसरी तरफ पुरुषों के हार्मोन ज्यादातर स्थिर रहते हैं। टेस्टोस्टेरोन के कारण पुरुषों के हार्मोनल स्तर में ज्यादा बदलाव नहीं होता और उनकी क्रेविंग महिलाओं की तुलना में कम होती है। पुरुष आमतौर पर नमकीन या प्रोटीन युक्त भोजन पसंद करते हैं। सामाजिक और मानसिक कारण भी इस फर्क को बढ़ाते हैं। सुदामा/ईएमएस 06 जुलाई 2025