07-Jul-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। धूल भी दिल्ली के लोगों की सांसे कम कर रही है। इसका भी दिल्ली की हवा में जहर घोलने में योगदान है। मगर सरकारी प्रबंधन कागजों में अधिक जमीन पर कम दिखाई देते हैं। सरकारी एजेंसियां धूल प्रदूषण रोकने के जो दावे करती है सड़कों पर वह उतना नहीं दिखाई देता है। इससे साफ कहा जा सकता है कि धूल प्रदूषण वाहनों से होने वाले प्रदूषण के साथ साथ धूल प्रदूषण पर भी कागजों में ही नही जमीन पर काम करने भी सख्त जरूरत है। अन्यथा प्रदूषण रूपी बीमारी का पूरी तरह इलाज कर पाना संभव नहीं होगा। दिल्ली के प्रदूषण में धूल का योगदान काफी अधिक है। खासकर पीएम10 और पीएम2.5 कणों के मामले में सड़क की धूल एक प्रमुख प्रदूषक है। दिल्ली में सड़क की धूल पीएम10 प्रदूषण का 56 प्रतिशत और पीएम2.5 प्रदूषण का 38 प्रतिशत तक योगदान करती है। इसके अलावानिर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल भी प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो कुल प्रदूषण में 2 प्रतिशत तक योगदान करती है। सरकारी एजेंसियों की लापरवाही का आलम यह है कि मानसून के दौरान भी आज आप को कई इलाकों में धूल उड़ती मिल जाएगी, वर्षा नहीं होने पर सड़कों की धूल आप को परेशान करेगी। मानसून को छोड़ दें तो अन्य महीनों में तो आप को पूरी दिल्ली में ही धूल से जूझना पड़ेगा। दिल्ली की स्थिति पर गौर करें तो दिल्ली के बाहरी इलाके इस समस्या से अधिक परेशान हैं। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/07/जुलाई /2025