खेल
10-Jul-2025
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लंदन (ईएमएस)। इंग्लैंड की गेंद बनाने वाली कंपनी ड्यूक्स ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से मांग की है कि टेस्ट क्रिकेट में 60 ओवर के बाद ही नई गेंद मिलनी चाहिये। अभी 80 ओवरों के बाद ही गेंद बदली जाती है। ड्यूक्स गेंद हाल ही में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आयोजित दो अलग-अलग टेस्ट सीरीज में शिकायत के बाद जांच के दायरे में आई है, जिसके बाद इस गेंद कंपनी ने सुझाव दिया है कि आईसीसी को वर्तमान 80 ओवर के स्थान पर 60 ओवर के बाद दूसरी नई गेंद लाने पर विचार करना चाहिए। भारत और इंग्लैंड की बीच जारी टेस्ट सीरीज में काफी एक्शन और बड़े स्कोर वाले मुकाबले देखने को मिले हैं। भारतीय टीम के कप्तान शुभमन गिल ने भी दूसरे टेस्ट में मिली जीत के बाद इस गेंद पर सवाल उठाये थे। शुभमन ने कहा था कि पिच से भी ज्यादा, गेंद नरम हो रही है और बहुत जल्दी खराब हो रही है जिससे खेलना कठिन हो रहा है। अगर आपको पता है कि किसी भी तरह की मदद के लिए सिर्फ 20 ओवर बचे हैं और फिर आपको बाकी दिन रक्षात्मक होकर बिताना है, सिर्फ यह सोचना है कि रन कैसे रोकें, तो खेल अपना महत्व खो देता है। इस को लेकर ड्यूक्स कंपनी का कहना है कि गेंद की आलोचना करना चलन में आ गया है। कंपनी का कहना है कि जब भी गेंदबाजों को परेशानी आती है और विेकेट नहीं मिलते तो वह गेंद को दोष देने लगते हैं। कप्तानों ने यह आदत बना ली है। कई बार गेंदबाज अंपायरों पर दबाव बनाने गेंद की शिकायत करते हैं। 1980 से ये नियम है कि 80 ओवर के बाद आपको नई गेंद फील्डिंग टीम के कप्तान के कहने पर मिल जाएगी। एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में लगातार गेंद बदलने की मांग होती रही है। इसी कारण ऋषभ पंत को आईसीसी ने फटकार लगायी थी। लीड्स में अंपायरों द्वारा गेंद बदलने के लिए टीम के अनुरोध को ठुकरा दिये जाने के बाद उन्होंने गुस्से में गेंद को पटक दिया था। यहां तक कि मैच के आखिर दिन, भारत की ओर से गेंद बदलने का पहला अनुरोध 14वें ओवर में आया, जिसके बाद कई बार ऐसी अपील की गई। आखिरकार 28वें ओवर में अंपायरों ने नरम रुख अपनाया और गेंद बदली गई। इतना ही नहीं, गेंद बदलने के लिए इंग्लैंड ने दूसरे टेस्ट में अंपायरों से अनुरोध किया। इंग्लैंड ने 16वें ओवर से ही गेंद की स्थिति के बारे में अंपायरों से शिकायत करनी शुरू कर दी थी। चार असफल अनुरोधों के बाद 56वें ​​ओवर में गेंद को बदला गया, जिसमें अधिकारियों ने उस गेंद को खेलने के लिए अनुपयुक्त करार दिया, जिसकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। उधर, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज में भी ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड ने गेंद को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि कभी भी 70 ओवर पुरानी इतनी नरम गेंद से उन्होंने गेंदबाजी नहीं की है। इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज में टेस्ट मैच ड्यूक्स से खेले जाते हैं। ये गेंद तेज गेंदबाजों के लिए फायदेमंद रही है। कंपनी का कहना है कि मैच सपाट पिचों पर मैच खेले गए हैं। इसी कारण गेंद खराब हुई है। बल्लेबाज और खिलाड़ी जितने शक्तिशाली हैं, वे गेंद को इतनी जोर से मार रहे हैं कि वह इतनी तेजी से स्टैंड्स से टकराती है कि कभी-कभी इसका आकार बिगड़ जाता है। ऐसे मामलों में, अंपायर के पास आकार की जांच करने के लिए आईसीसी द्वारा दिया गया एक गेज होता है। ड्यूक्स गेंद को गेंदबाजों के अनुकूल माना जाता है और अब जब एक पारी में पांच या छह शतक बन रहे हैं, तब भी हर कोई गेंद को दोष दे रहा है। गिरजा/ईएमएस 10 जुलाई 2025