बेशक 11 जुलाई 2025 को दुनिया के देशों में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है मगर ऐसे दिवस औपचारिकता मात्र रह गए है। 2025 में जनसंख्या दिवस का थीम युवाओं को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण विश्व में अपने मनचाहे परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना रखा गया है lहर साल विश्व में एक संकल्प लिया जाता है कि जनसंख्या को नियंत्रित किया जाएगा मगर धरातल पर कुछ नहीं होता। साल 1989 से जनसंख्या दिवस को मनाने का निणर्य लिया गया था। बढ़ती जंनसंख्या बहुत ही चिंतनीय विषय है। आज हमारे देश की जनसंख्या 146 करोड़ से अधिक है यह दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है l चीन की आबादी एक सौ चालीस करोड़ से अधिक है। 1947 में भारत की जनसंख्या 34 करोड़ थी lयह निरंतर बढ़ती ही जा रही है। बढ़ती जनसंख्या चिंता का सबब बनती जा रही है। विश्व की जनसंख्य 8.180 बिलियन है। 1918 में 1.8 बिलियन थी। देश के लोगों को आज जनसंख्या को नियंत्रित करने का संकल्प लेना होगा। भारत व चीन विश्व के अधिक जनसंख्या वाले देश है। प्रतिवर्ष जनसंख्या दिवस पर लोगों को जागरुक किया जाता है। सैमीनार लगाए जाते है रैलीयां निकाली जाती है। मगर एक दिन के दिवस से जनसंख्या को रोकना नाकाफी है। नुकड नाटकों के माध्यम से लोगों को जनसंख्या से हो रही मुश्किलों से अबगत कराया जाता है। मगर लोगों के सिर जूं तक नहीं रेंगती। जनसंख्या के बढ़ते काफिले को रोकना होगा। सरकारों द्वारा जनसंख्या के बढ़ते सैलाब को रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियानों पर करोंडों रुपया खर्च किया जाता है। विश्व में जनसख्या बढ़ती ही जा रही है। जनसंख्या रोकने के लिए सरकारों के प्रयास विफल होते जा रहे है। लोगों द्वारा मनमानी की जा रही है। सरकार जनसंख्या को रोकने के लिए कई अभियान चला रही है। हम दो हमारे दो का नारा दिया गया मगर किसी ने भी इस पर अमल नहीं किया। लड़के की चाह में आधा दर्जन तक बच्चे पैदा कर लिए। आज लड़का-लड़की में भेदभाव किया जा रहा है। आज सब बराबर है। अगर छोटा परिवार होगा तो हर आदमी सुखी जीवन जी सकता है। कुछ मनमानी करने वालों ने क्रिकेट की टीमें पैदा कर दी है। आज जनसंख्या का विकराल रुप होता जा रहा है। आज हालात बद सक बदतर होते जा रहे है। बढ़ती जनसंख्या एक बहुत ही खतरनाक विस्फोट है lजंनसंख्या को नियत्रित करना होगा ताकि हर मानव को रोटी कपड़ा और मकान व स्वास्थ्य जैसीे मूलभूत सुविधाएं मिल सके। आज विशव में बेरोजगारी का मुख्य कारण जंनसंख्या ही है। एक पद के लिए लाखों लोग प्रयास कर रहे है। आबादी बढती जा रही है और साधन घटते जा रहे है। अस्पतालों में बेतहाशा भीड़ हैै। इलाज नहीं मिल रहा है। इलाज के अभाव में लोग दम तोड रहे है। दवाईषं नहीं मिल रहीे है। भेजन नहीं मिल रहा है। जनसंख्या ही मूल कारण है। परिवार नियोजन जैसे नारों का उलंघ्धन किया जा रहा है। नसबंदी व नलबंदी जैसे अभियान चलाए जा रहे है। नसबंदी के बाद भी बच्चे पैदा होने के मामले सामने आते है। जनसंख्या के दुष्परिणाम का सामने आ रहे है। कुपोषण व भूखमरी के कारण लाखों लोग काल के गाल मे समाते जा रहे है। बढ़ती जनसंख्या से समस्याएं पैदा होती रहेगी। जनसंख्या पर लगाम लगानी होगी। हर आदमी को रोटी ,पानी व सुविधाएं तब मिल सकती है जब हम सब मिलकर कदम बढ़ाएगें। लोगों को जागरुक किया जाए ताकि आने वाले समय में इस पर रोक लग सके। बढती जनसंख्या ण्क अशुभ संकेत है। संकल्प लेना होगा। बढ़ती आबादी के संकट को रोकना होगा। बेकाबू हो रहे इस काफिले को जनसंख्या को काबू करना होगा तभी ऐसे दिवसों की सार्थकता होगा l ईएमएस / 10 जुलाई 25