भोपाल (ईएमएस)। गुरु को जानो, पाओ और उनके हो जाओ — यही आत्मोन्नति का मार्ग है उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने विद्या प्रमाण गुरुकुलम् अवधपुरी में आयोजित गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये मुनिसंध के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया आज का दिन गुरु के प्रति समर्पित दिन रहा इंदौर,मुम्बई, कोलकाता, हजारीबाग, रांची,दिल्ली, गुणगांव, जयपुर, विदिशा,ललितपुर, सागर दमोह, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ राजस्थान तथा बैकांक से गुरभक्त पधारे उन्होंने श्री जी का अभिषेक एवं 55 मिनट की वृहदशांतिधारा की एवं गुरुदेव के पादप्रछालन कर कर कमलों में शास्त्रभेंट कर अपने आपको धन्य धन्य माना इस अवसर पर बैकांक से 8 वर्षीय पुरुदेव को मुनि श्री ने अपने मुखारविंद से जैनत्व के संस्कार दिये विदेश में रहने बाले इस बालक की पूजा और भक्ति से सभी प्रभावित हुये। मुनि श्री ने गुरु की गरिमा और गुरु-भक्ति के गहन रहस्यों को उजागर करते हुये कहा कि गुरु कोई व्यक्ति नहीं,गुरु एक तत्व है,जो हमारे भीतर ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न कर भवसागर से पार लगाते हैं,गुरु को जानना, गुरु को पाना और अंततः गुरु का हो जाना, यही सच्ची साधना की क्रमिक यात्रा है।”उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल गुरु के दर्शन या मिलना पर्याप्त नहीं, जब तक वह हमारे भीतर उतरकर हमें रूपांतरित न कर दें। “गुरु मिलना भाग्य है,तो गुरु को पाना एक क्रांति है और गुरु का हो जाना पूर्णता है,मुनि श्री ने जीवन से जुड़े अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि जब उन्होंने गुरु की इच्छा के सामने अपना तर्क रखा तब वह पीछे रह गए,और जब उन्होंने समर्पण किया, तो सफलता उनके चरण चूमती रही,जो गुरु का होता है वही प्रभु का हो पाता है इस अवसर पर मुनि श्री संधान सागर महाराज जिनका आज दीक्षा दिवस है उन्होंने दीक्षा दिवस की स्मृतिओं को साझा करते हुए कहा कि “आज मुझे मुनि बने 10 वर्ष पूरे हुए। यह जीवन गुरु कृपा का ही परिणाम है,उन्होंने अपने आध्यात्मिक शिक्षा गुरु मुनि श्री प्रमाणसागर जी महाराज की सामूहिक वंदना की तथा आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज के प्रति श्रद्धा और समर्पण के भाव प्रकट करते हुये कहाहमें कोई गम नहीं कि पंचमकाल में मोक्ष नहीं हमें खुशी है हमें इस पंचमकाल में आचार्य विद्यासागर जैसे गुरु मिले उन्होंने कहा कि गुरु के आशीर्वाद से नि सत्य भी सत्य बन जाता है। प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया समारोह के अंत में उपस्थित श्रद्धालुओं ने मुनि श्री संधान सागर जी महाराज के दीक्षा दिवस पर आचार्य गुरुदेव की अष्टद्रव्यों से संगीत मय पूजन की और “परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज एवं वर्तमान आचार्य समयसागर महाराज की जयजयकार से गगनभेदी जयघोष से आयोजन स्थल गूंज उठा। इस अवसर पर क्षु. आदरसागर, क्षु समादर सागर,क्षु.चिद्रुप सागर,क्षु.स्वरुप सागर,क्षु.सुभग सागर सहित बाल ब्र.अशोक भैया,रुपेश भैया ,शारांश भैया, दिनेश जी गंगवाल मुम्बई, विजय सरावगी कोलकाता ने स परिवार मुनि श्री का पाद प्रछालन किया। धर्मेन्द्र, 10 जुलाई, 2025