मुंबई, (ईएमएस)। महाराष्ट्र में सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में बच्चों और शिशुओं की सुरक्षा एक बेहद अहम मुद्दा है। अस्पताल में भीड़भाड़, विभिन्न विभागों के कामकाज और मरीजों व परिजनों की आवाजाही को देखते हुए, शिशुओं या बच्चों के अपहरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा की गई कई घटनाएँ भी सामने आई हैं। इसलिए, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय के अधीन राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में नवजात शिशुओं के अपहरण और चोरी को रोकने के लिए, निदेशालय ने प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के वार्ड के लिए एक अस्पताल संचालन प्रणाली तैयार की थी और सरकार की मंजूरी के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था। तदनुसार, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय के अधीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में नवजात शिशुओं के अपहरण और चोरी को रोकने के लिए एक संचालन प्रणाली लागू करने का मामला सरकार के विचाराधीन था। अंततः, इस संबंध में एक निर्णय लिया गया है। इस संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गई है और इस संबंध में एक सरकारी निर्णय जारी किया गया है। - क्या है सरकारी परिपत्र ? आदेश में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में नवजात शिशुओं के अपहरण और चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए, इस सरकारी परिपत्र में संलग्न अस्पताल संचालन प्रक्रियाओं को तत्काल लागू किया जाना चाहिए। - नई संचालन प्रक्रियाएँ क्या होंगी? 1) अस्पताल के सभी चरणों, जैसे प्रसवपूर्व जाँच कक्ष, प्रसव कक्ष, शल्य चिकित्सा कक्ष, प्रसवोत्तर कक्ष, नवजात गहन चिकित्सा इकाई, डिस्चार्ज प्रक्रिया आदि में नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में उल्लिखित निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। 2) अस्पताल स्तर पर कोड पिंक प्रणाली को सक्रिय किया जाना चाहिए और त्वरित एवं समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। 3) निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों के डीन-चिकित्सा अधीक्षक हर महीने संस्थान की सुरक्षा की समीक्षा करें और निदेशालय को तिमाही समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करें। 4) सभी अधीनस्थ सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में उक्त प्रणाली को तत्काल लागू किया जाना चाहिए और सभी संबंधित कर्मचारियों, सुरक्षा गार्डों, नर्सिंग और चिकित्सा कर्मचारियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। 5) नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए इस प्रणाली के कार्यान्वयन से संबंधित व्यय संबंधित संस्थानों को बजट में आवंटित निधि से पूरा किया जाना चाहिए। 6) उक्त सरकारी परिपत्र द्वारा निर्धारित प्रणाली के प्रभावी कार्यान्वयन की पूरी जिम्मेदारी आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा और आयुष निदेशालय, मुंबई की होगी। संजय/संतोष झा- १० जुलाई/२०२५/ईएमएस