16-Jul-2025


लखनऊ (ईएमएस)। समूचे उत्तर भारत में रुक रुक कर हो रही बारिश के बीच उत्तर प्रदेश में गंगा यमुना समेत अधिसंख्य नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा गहराने लगा है। प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, बहराइच और कन्नौज समेत अधिसंख्य इलाकों में जिला प्रशासन ने बाढ़ से बचाव के लिये समुचित इंतजाम किये है। बाढ़ चौकियों से नदियों के जलस्तर की निगरानी की जा रही है। प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिसके चलते नागवासुकी, छोटा बघाड़ा, सलोरी, दारागंज और कछारी जैसे निचले इलाकों में पानी भरने लगा है। हालांकि अभी गंगा और यमुना नदियां खतरे के निशान से नीचे हैं, फिर भी खतरा टला नहीं है। दोनों नदियों में लाल निशान 84.73 मीटर निर्धारित है, और जलस्तर तेजी से इस दिशा में बढ़ रहा है। इसे देखते हुए प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों को खाली कराया जा रहा है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और राहत कैंप भी तैयार किए गए हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष को 24 घंटे एक्टिव मोड में रखा गया है, जहां से हर इलाके की निगरानी की जा रही है। कंट्रोल रूम में जल निगम, जलकल, स्वास्थ्य विभाग और एनडीआरएफ की टीमें समन्वय के साथ काम कर रही हैं। स्थानीय नागरिकों से अपील भी की गई है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को देखते हुए सुरक्षित स्थानों पर रहें। वाराणसी से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से हजारों नाविकों और घाट किनारे छोटे दुकानदारों की जीविका पर संकट गहरा गया है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, काशी में गंगा का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है, जबकि जलस्तर 68.70 मीटर तक पहुंच गया है। गंगा चेतावनी बिंदु से मात्र 1.56 मीटर नीचे बह रही है। जितेन्द्र 16 जुलाई 2025