नई दिल्ली (ईएमएस)। विशेषज्ञों के अनुसार समय रहते हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप के लक्षण पहचानना और इलाज कराना बेहद जरूरी है। सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस (सीसीआरएएस) के मुताबिक, सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 एमएम एचजी या उससे अधिक और डायस्टोलिक 90 एमएम एचजी या उससे अधिक होने पर हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। यदि इसका सही इलाज न किया जाए तो यह हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी डैमेज और कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। नेशनल हेल्थ मिशन के अनुसार हाई बीपी के कुछ संकेतों में तेज सिरदर्द, घबराहट या तनाव, छाती में दर्द, नाक से खून आना, चक्कर आना, दिल की अनियमित धड़कनें और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि ये आपके अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खासकर 30 की उम्र के बाद नियमित जांच कराते रहना चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ धमनियां अपनी लचीलापन खोने लगती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ने का खतरा और भी ज्यादा हो जाता है। सीसीआरएएस बताता है कि हाइपरटेंशन का एक बड़ा कारण हमारी जीवनशैली है। अधिक तनाव, शराब और तंबाकू का सेवन, चाय-कॉफी की लत, रात में जागना, दिन में सोना, खराब खानपान, मोटापा, कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स और पारिवारिक इतिहास इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। हाई बीपी से बचाव के लिए सीसीआरएएस ने गाइडलाइंस दी हैं। इसमें संतुलित आहार की सलाह दी गई है कम सोडियम वाला भोजन, कम वसा युक्त खाना, खूब फल-सब्जियां, नारियल और छाछ का सेवन फायदेमंद माना गया है। साथ ही जीवनशैली सुधारने पर जोर दिया गया है जैसे मेडिटेशन, प्राणायाम, योगासन, शवासन, हल्की एक्सरसाइज और सकारात्मक सोच अपनाना। मोटापा होने पर वजन कम करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, तले-भुने और अत्यधिक नमकीन स्नैक्स से परहेज करने को भी कहा गया है। आयुर्वेद में सर्पगंधा, शंखपुष्पी, ब्राह्मी और जटामांसी जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग भी हाई ब्लड प्रेशर मैनेज करने के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता, समय पर जांच और जीवनशैली में बदलाव ही इस “साइलेंट किलर” से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप मौजूदा दौर में सबसे तेजी से फैलने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन गया है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव लगातार ऊंचा बना रहता है और इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह अक्सर बिना किसी साफ लक्षण के भी बढ़ सकता है। सुदामा/ईएमएस 17 जुलाई 2025