नई दिल्ली (ईएमएस)। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूहों के लिए ड्रोन नए ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स’ (ओजीडब्ल्यू) के रूप में सामने आए हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और चुनौती काफी बढ़ गई है। पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई ड्रोन की मदद से आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार भेजने के अपने प्रयासों को तेज कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के कारण मानव ओजीडब्ल्यू नेटवर्क पर निर्भरता काफी कम हो गई है। इन ड्रोनों का इस्तेमाल कश्मीर और जम्मू क्षेत्र के ऊंचाई वाले इलाकों में छिपे आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों की निगरानी के लिए हो रहा है, जिससे कुछ आतंकवाद-रोधी अभियानों में सफलता की दर कम हुई है। कुछ मामलों में ये ड्रोन आतंकवादियों के लिए सूखा राशन भी पहुंचा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए आतंकवादियों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल 27 जून, 2021 को शुरू हुआ था, जब जम्मू हवाई अड्डे पर दो मानवरहित हवाई यान टकराए थे। आईएसआई घुसपैठ के प्रयासों से पहले सटीक स्थिति का आकलन करने और कमजोरियों की पहचान करने के लिए ड्रोन तकनीक का लाभ उठा रही है। अधिकारियों को प्रामाणिक जानकारी मिली है कि मई के तीसरे सप्ताह में पीओके में आईएसआई अधिकारियों और प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के शीर्ष आतंकवादियों की बैठक हुई थी, जिसमें घुसपैठ से पहले की स्थिति पर नज़र रखने के लिए ड्रोन निगरानी के महत्व पर जोर दिया गया था। बता दें कि अमेरिकी सेना के लिए काम कर रहे गैर-लाभकारी पेशेवर संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी’ (एयूएसए) की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘एक बार जब पिटारा खुल गया, तो बुरे तत्व जल्दी से इसके अनुरूप ढल गए और हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए उन्होंने ड्रोन का उपयोग करना शुरू कर दिया।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि आतंकवादी संगठन पिछले संघर्षों से सबक ले रहे हैं और लगातार अपने तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। बता दें कि आतंकवादियों द्वारा ड्रोन का पहला इस्तेमाल इस्लामिक स्टेट ने इराक के मोसुल में सैन्य अभियानों के दौरान किया था जहां उन्होंने टोह के लिए और बम गिराने, दोनों के लिए यूएवी तैनात किए थे। अधिकारियों के मुताबिक जैसा कि पिछले संघर्षों में देखा गया है, ये समूह सीख रहे हैं और अपनी रणनीतियां बना रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन तकनीक में तेजी से होती प्रगति और इसकी बढ़ती पहुंच आतंकवादी संगठनों को डर फैलाने तथा हमले करने के नए रास्ते प्रदान करती है, जिससे आतंकवाद-रोधी प्रयास जटिल हो जाते हैं। आशीष/ईएमएस 18 जुलाई 2025