स्वयं की निजी क्लीनिकों के समय अनुसार लग रही अस्पताल में ड्यूटी मरीज घंटो तक करते रहते हैं डॉक्टरों का इंतजार, मचती रहती है चीख-पुकार अशोकनगर (ईएमएस)। कलेक्टर के लगातार निरीक्षणों और दिशा निर्देशों का जिला अस्पताल प्रबंधन पर कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। स्थिति यह है कि अस्पताल में घंटो मरीजों की चीख-पुकार मचती रहती है और डॉक्टर अपनी मर्जी अनुसार ओपीडी में पहुंच रहे हैं। बुधवार को जब अस्पताल की व्यवस्थाओं को देखा तो, मौसमी बीमारियों के चलते अस्पताल में मरीजों की भयंकर भीड़ थी और वह ड्यूटी डॉक्टरों से जांच कराने के लिए लंबी कतारों में खड़े घंटो डॉक्टरों के आने का इंतजार करते नजर आए। पीड़ा से कराहते हुए मरीजों की चीत्कार असहनीय थी। लेकिन डॉक्टर बड़े इत्मीनान से अपनी सीट पर पहुंचे। तब जाकर मरीज को तसल्ली हुई। एक स्थानीय बृद्ध मरीज ने बताया कि वह एक दिन पूर्व भी उपचार के लिए आया था, लेकिन डॉक्टर नहीं आए आज भी वह सुबह 9 बजे से खड़ा है, करीब एक घंटा हो गया, डॉक्टर नहीं आए। ग्राम अमोदा निवासी पुनिया बाई का गंभीर हालत में उपचार कराने लेकर आए उनके पुत्र ने बताया कि हम लंबे समय से डॉक्टरों का इंतजार कर रहे हैं,करीब 1 घंटे शाढ़ौरा अस्पताल में लग गया, हमने एंबुलेंस को कॉल किया था, लेकिन वह नहीं आई हम सरपंच के निजी वाहन से मां को लेकर जिला चिकित्सालय में आए। हम 1 घंटे से डॉक्टरों का इंतजार कर रहे हैं, अभी तक नहीं आए, मरीज को पलंग भी नहीं मिला है, नीचे फर्श पर ही डाल दिया है। इस तरह अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से जिला चिकित्सालय की अच्छी भली व्यवस्थाएं खराब होने के साथ ही अस्पताल की बदनामी हो रही है। स्वयं की निजी क्लीनिकों अनुसार बना रखे हैं रोस्टर: जिलेभर के गरीबों का एकमात्र सहारा जिला चिकित्सालय ही है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं होने के बावजूद भी व्यवस्थाएं बेहतर न होने की वजह से बदनाम है। यहां पदस्थ अधिकतर डॉक्टर लगभग निजी नर्सिंग होम चिकित्सालय या स्वयं के अस्पताल खोले बैठे हैं जहां पर अधिक समय देकर, समय पर अपनी ड्यूटी करने जिला अस्पताल नहीं पहुंचते, या फिर निजी क्लिीनिकलों में बैठने के समय अनुसार अस्पताल में अपनी ड्यूटी लगवा रखी है। डॉक्टर अपने निर्धारित समय पर भी अपने कक्ष में नहीं बैठते, या तो यूं कहें कि उन्हें जिला अस्पताल की ड्यूटी से अधिक लाभ अपने निजी अस्पतालों में है, या फिर राजनीतिक रसूख के चलते, अहम् के कारण इतने लापरवाही हो गए हैं, कि उन्हें मरीज की पीड़ा की कतई चिंता नहीं रहती। खराब प्रबंधन से बिगड़ रहे हालात: कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है उसी तरह, अस्पताल प्रबंधन पूरे अस्पताल की व्यवस्थाएं खराब कर रहा है, जहां अस्पताल में विभिन्न तरह के मामलों के चलते जिला चिकित्सालय सुर्खियों में बना रहता है वहीं व्यवस्थाओं को लेकर हमेशा लापरवाह नजर आता है। अगर प्रबंधन सुधर जाए तो पूरा अस्पताल सुधर जाएगा। ईएमएस/ ओमप्रकाश रघुवंशी/ /23 जुलाई 2025