क्षेत्रीय
31-Jul-2025
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- प्रहार जनशक्ति पार्टी का धरना प्रदर्शन आंदोलन, 12 दिनों में आयुक्त को सौंपी जाएगी रिपोर्ट उल्हासनगर, (ईएमएस)। उल्हासनगर महानगरपालिका के दिव्यांग कल्याण विभाग में सामग्री खरीद घोटाले ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया है। बाजार मूल्य से कई गुना अधिक दर पर की गई खरीद, दस्तावेजों में दिखाए गए ठेकेदार का अस्तित्व ही नहीं, और इसे छिपाने के लिए की गई गुप्त सुनवाई, इन सबने प्रशासन की भ्रष्ट व्यवस्था की भयावह तस्वीर पेश की है। इसी के मद्देनजर, प्रहार जनशक्ति पार्टी ने 29 जुलाई की शाम को मनपा प्रशासन पर आरोप लगाते हुए धरना प्रदर्शन किया था। दरअसल उल्हासनगर मनपा के दिव्यांग कल्याण विभाग में हुई खरीद में लाखों के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होने के बाद, मनपा प्रशासन के प्रति गहरा अविश्वास व्यक्त किया जा रहा है। दिव्यांग भाइयों के नाम पर मनपा द्वारा खरीदी गई सामग्री की कीमत बाजार मूल्य से कई गुना अधिक थी। यह बात सामने आई है कि मनपा ने बाजार में मात्र 1500 से 3000 रुपये में मिलने वाली स्मार्ट स्टिक के लिए 12,900 रुपये प्रति भुगतान किया है। यह भी पता चला है कि 300 से 400 रुपये में मिलने वाली साधारण स्टिक के लिए 8,200 रुपये प्रति पीस की भारी-भरकम कीमत खर्च की है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में मनपा प्रशासन ने 12,900 रुपये प्रति स्टिक की दर से कुल 6.96 लाख रुपये में 54 स्मार्ट स्टिक खरीदीं। जबकि 84 साधारण स्टिक 8,200 रुपये प्रति स्टिक की दर से कुल 6.88 लाख रुपये में खरीदी गईं। इस मामले में मेसर्स स्वामी एंटरप्राइजेज नामक एक ठेकेदार कंपनी को काम दिया गया था। हालाँकि, यह पता चला है कि यह कंपनी दिए गए पते पर मौजूद ही नहीं है। इससे पूरी निविदा और खरीद प्रक्रिया पर संदेह पैदा हो गया है। प्रशासन द्वारा गुप्त रूप से आयोजित पिछली सुनवाई में शिकायतकर्ता को अनुपस्थित दिखाया गया था और शिकायत को झूठा बताया गया था। यह जानकारी सामने आने के बाद, प्रहार जनशक्ति पार्टी के ठाणे ज़िला अध्यक्ष स्वप्निल पाटिल के नेतृत्व में 29 जुलाई को मनपा प्रशासन के ख़िलाफ़ भारी विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में दिव्यांगजन मनपा मुख्यालय के मुख्य द्वार पर पहुँचे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने केवल 4 लोगों को ही बैठक में जाने की इजाजत दी। इससे काफ़ी हंगामा हुआ। प्रदर्शनकारियों ने मनपा के गेट पर ही धरना दे दिया। अंततः प्रहार जनशक्ति पार्टी के आक्रामक रुख़ और कायदा ने वागा (क़ानून के अनुसार काम करो) के प्रणेता राज असरोंडकर के समर्थन के चलते प्रशासन को झुकना पड़ा और सभी दिव्यांगजनों को सुनवाई में शामिल होने की अनुमति दी गई। यह सुनवाई दिव्यांग कल्याण विभाग की सहायक आयुक्त सलोनी निवकर की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले 12 दिनों में जाँच रिपोर्ट आयुक्त को सौंप दी जाएगी। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रहार पार्टी के जिला अध्यक्ष स्वप्निल पाटिल ने चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो 15 अगस्त को कड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। राज असरोंडकर ने भी घोषणा की कि आयुक्त के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा। इस मामले में, पुणे में दिव्यांग कल्याण विभाग के तत्कालीन आयुक्त प्रवीण पुरी ने सितंबर 2024 में मनपा आयुक्त को जाँच के आदेश दिए थे। हालाँकि, जाँच अभी तक आगे नहीं बढ़ पाई है। चर्चा है कि इस घोटाले के पीछे एक पूर्व भाजपा नगरसेविका के पति का हाथ है। इसलिए, सूत्रों ने बताया कि इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप है। यह शर्मनाक बात यह है कि दिव्यांगों के लिए निर्धारित पैसा भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों के हाथों में जा रहा है और यह एक गंभीर वित्तीय अपराध है जो कानून के दायरे में आता है। अब सबकी निगाहें मनपा प्रशासन और जाँच दल पर टिकी हैं। क्या दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी? क्या यह मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला जाएगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। संतोष झा- ३१ जुलाई/२०२५/ईएमएस