हमलों से बचने के लिए बना रहा छोटे-छोटे आतंकी कैंप नई दिल्ली(ईएमएस)। भारत अपनी सेना के साथ जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई कर रहा है, लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। हालिया खुफिया रिपोट्र्स से पता चला है कि पाकिस्तान 90 दिन के अंदर ही ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट किए गए 15 आतंकी कैंप और लॉन्च पैड्स को दोबारा बना रहा है। यह नई आतंकी रणनीति भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी कैंप्स को निशाना बनाया था, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के ठिकाने थे। इस हमले में करीब 100 आतंकवादी मारे गए थे, जिसमें बहावलपुर का जैश मुख्यालय और मुरिदके का लश्कर कैंप शामिल था। लेकिन अब खबर है कि पाकिस्तान इन कैंप्स को फिर से बनाने में जुट गया है। 15 नए कैंप बन रहे खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में पाकिस्तान ने पीओके में 15 नए आतंकी कैंप और लॉन्च पैड्स बनाना शुरू कर दिया है। ये कैंप केल, शारदी, दुदनियाल, अथमुकाम, जुरा, लिपा वैली, तंदापानी, नय्याली, जांकोट और चकोठी में बन रहे हैं। वहीं इसके अलावा जम्मू क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास मसूर, चपरार और शाकर्गढ़ में एक ड्रोन सेंटर भी फिर से शुरू हो रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और सरकार के अन्य विभाग आतंकवादियों को पूरा समर्थन दे रहे हैं। रिपोट्र्स के मुताबिक, आईएसआई ने इन कैंप्स के लिए 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग की है। पाकिस्तान चला रहा है नई चाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान नई-नई चाल चल रहा है। इसी कड़ी में छोटे कैंप बनाए जा रहे हैं। पहले एक कैंप में 100-150 आतंकी हुआ करते थे, लेकिन अब हर कैंप में सिर्फ 20-25 आतंकी रखे जा रहे हैं, ताकि भारतीय सेना के बड़े हमले से बचा जा सके।जंगल में छिपे कैंप बनाएग जा रहे हैं। ये कैंप घने जंगलों में बनाए जा रहे हैं, जहां से भारतीय निगरानी को चकमा दिया जा सके। तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन, रडार कैमोफ्लाज और सैटेलाइट मास्किंग जैसी उन्नत तकनीकें इस्तेमाल हो रही हैं। आतंकी अब अपने कैंप में महिलाओं और बच्चों को शील्ड के तौर पर रख रहे हैं, ताकि हमले में उनकी जान बच सके। आतंकवादियों को ड्रोन और जासूसी उपकरणों की ट्रेनिंग दी जा रही है। इससे साफ है कि आतंकी अब सावधानी से काम कर रहे हैं। भारतीय सेना के रडार से बचने की कोशिश में हैं। आईएसआई और आतंकी संगठनों की साजिश ऑपरेशन सिंदूर के बाद आईएसआई ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और द रेसिस्टेंस फ्रंट के बड़े कमांडरों के साथ कई मीटिंग्स की हैं। इन मीटिंग्स में नए हथियार खरीदे जा रहे हैं। ऑपरेशनल लीडरशिप को फिर से संगठित किया जा रहा है।पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में नए आतंकियों की भर्ती शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना की सख्ती की वजह से नई भर्ती बहुत कम हुई है। स्थानीय लोग भी अब आतंकियों के साथ जुडऩे से कतरा रहे हैं। विनोद उपाध्याय / 04 अगस्त, 2025